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मंगलवार, 2 मई 2023

गीत, मुक्तक

गीत :

बजा बाँसुरी…
*
बजा बाँसुरी झूम-झूम मन,
नाच खुशी से लूम-लूम मन…
*
जंगल-जंगल गमक रहा है।
महुआ फूला महक रहा है।
बौराया है आम दशहरी
पिक कूकी चित चहक रहा है।
डगर-डगर पर छाया फागुन
कभी न होना सूम-सूम मन…
*
पिरयाई सरसों जवान है।
मानसिक ताने शर-कमान है।
दिनकर छेड़े, उषा लजाई-
स्नेह-साक्षी चुप मचान है।
बैरन पायल करती गायन
पा प्रेयसी सँग घूम-घूम मन…
*
कजरी होरी राई कबीरा,
टिमकी ढोलक झाँझ मंजीरा।
आल्हा जस फागें बम्बुलियाँ
सुना हो रही धरा अधीरा।
उड़ा हुलासों की पतंग फिर
अरमानों को चूम-चूम मन…
२९-४-२०१३
***
मुक्तक:
*
जो दूर रहते हैं वही तो पास होते हैं.
जो हँस रहे, सचमुच वही उदास होते हैं.
सब कुछ मिला 'सलिल' जिन्हें अतृप्त हैं वहीं-
जो प्यास को लें जीत वे मधुमास होते हैं.
२९-४-२०१०
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