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बुधवार, 31 मई 2023

मय सभ्यता

-----------------:मय सभ्यता का क्या रहस्य है ?:-------------------
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इधर कुछ वर्षों में भविष्यवाणी और मय सभ्यता पर टी वी और पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से काफी चर्चा देखने, सुनने और पढ़ने को मिलती रही है। मय सभ्यता के रहस्य और उनके गणना करने के तरीके पर लोगों का ध्यान काफी आकृष्ट हुआ है। भारत की प्रखर प्रज्ञा ने भी अंतर्योग और ज्ञानयोग से योग-तंत्र और ज्योतिष पर अपना अन्वेषण कार्य समय-समय पर किया है। भारत से अन्य देशों में यह विद्या फैली है--ऐसा सुधी विद्वानों का मत है। लेकिन भारत से हज़ारों मील दूर माया सभ्यता कैसे फली-फूली, उन्हें ग्रह-नक्षत्रों आदि की सटीक जानकारी कैसे हुई--यह शोध का विषय है।
आज का विज्ञान दिन-प्रति-दिन नित नयी खोज करता जा रहा है और नये-नये आयाम को करता जा रहा है स्पर्श। विज्ञान के पास वह सारी आधुनकि सुविधा है--चाहे पृथ्वी से परे गहन अंतरिक्ष की जानकारी हो, सुदूर आकाश गंगाओं, निहारिकाओं में होने वाली हलचल की जानकारी हो--अपनी आधुनिक सुविधाओं से वह सबकुछ जानकारी प्राप्त करता जा रहा है और आगे भी करता रहेगा। लेकिन यह सुविधा हज़ारों वर्ष पूर्व नहीं थी। फिर भी वह सटीक जानकारी, गहन ज्ञान, भविष्य में घटित होने वाली घटना का ज्ञान पृथ्वी की मानव जाति को कैसे हुआ--यह आश्चर्य का विषय है। चाहे भारत हो, चीन हो, तिब्बत्त हो, मिश्र हो या हो सुदूर अमेरिका, कनाडा आदि--सभी के ज्ञान की समानता कहीं न कहीं मिलती है। सबसे बड़े आश्चर्य का विषय है गुम्बद का आकार। एक सभ्यता ने दूसरी सभ्यता को न जानते हुए भी पिरामिड के आकार के स्तूप का निर्माण किया।
जहाँ तक भारतीय अध्यात्म के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि ऊर्ध्व त्रिकोण 'शिवतत्त्व' है और अधो त्रिकोण 'योनितत्व' है और इन दोनों के सामरस्य से जगत् में सृष्टि का शुभारंभ हुआ। ऊर्ध्व त्रिकोण समस्त ब्रह्मांड का प्रतीक है और अधो त्रिकोण है प्रतीक शक्ति का। उर्ध्व त्रिकोण के अंदर सात आकाश अथवा सात मण्डल अथवा सात लोक हैं। सात आकाश की मान्यता लगभग सभी धर्मों में है। विज्ञान इन्हीं को सात आयाम (seven dimensions)मानता है।
हमारा जगत् तीन आयामों वाला है। कुछ समय पूर्व वैज्ञानिकों ने सात सूर्य की खोज की थी। तीसरा सूर्य हमारे सौरमण्डल का अधिपति है। यह बहुत संभव है कि इन सात आयामों का संबंध हमारी पृथ्वी से हो। वैज्ञानिकों के अनुसार चौथे आयाम का समय मन्द है अर्थात् काल का प्रभाव अति मन्द है। लेकिन पृथ्वी पर कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ कोण कटता है, वहां पर कोई भी वस्तु गायब हो सकती है। वर्तमान में सबसे अधिक रहस्यमय है--बरमूडा ट्राइएंगल। उसकी हद में कोई भी वस्तु चाहे हवाई जहाज हो या पानी का जहाज हो--गायब हो जाती है। उनका सबका आजतक भी कोई पता नहीं चल पाया। आज भी उनकी खोज जारी है। प्रश्न यह है कि क्या वे चतुर्थ आयाम में चले गए या फिर और कोई रहस्य है ?--यह तो विज्ञान को खोजना है।
बहरहाल गुम्बद अथवा पिरामिड के कोण के माध्यम से हमारे पूर्वज ध्यान की गहन अवस्था में सुदूर ग्रह के लोगों से संपर्क करते आ रहे थे और ज्ञान भी प्राप्त करते आ रहे थे। उन ग्रहों में रहने वाले प्राणी हमसे ज्यादा ज्ञान, तकनीक और बुद्धि में विकसित हैं। कई बार अंतरिक्ष के प्राणी (एलियंस) प्राचीन काल से ही पृथ्वी पर आते रहे हैं, उड़न तश्तरियों जैसे यानों में उतरते देखे गए हैं। लेकिन क्या मय सभ्यता के लोगों का सम्बंध रहा होगा ऐसे प्राणियों से प्राचीन काल से--यह विचारणीय प्रश्न है।

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