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शुक्रवार, 12 मई 2023

सोनेट, विश्वास, कृपा, निश्चल छंद, दोहा, बाल गीत, मुक्तक, नवगीत

सॉनेट
विश्वास
मन में जब विश्वास जगा है
कलम कह रही उठो लिखो कुछ
तुम औरों से अलग दिखो कुछ
नाता लगता प्रेम पगा है
मन भाती है उषा-लालिमा
अँगना में गौरैया चहके
नीम तले गिलहरिया फुदके
संध्या सोहे लिए कालिमा
छंद कह रहा मुझे गुनगुना
भजन कह रहा भज, न भुनभुना
कथा कह रही कर न अनसुना
मंजुल मति कर सलिल आचमन
सजा रही हँस सृजन अंजुमन
हो संजीव नृत्य रत कन-कन
१२-५-२०२२
•••
सॉनेट
कृपा
किस पर नहीं प्रभु की कृपा
वह सभी को करता क्षमा,
मन ईश में किसका रमा
कितना कहीं कोई खपा।
जो बो रहे; वह पा रहे
जो सो रहे; वे खो रहे,
क्यों शीश धुनकर रो रहे
सब हाथ खाली जा रहे।
जो जा रहे फिर आ रहे
रच गीत अपने गा रहे
जो बाँटते वह पा रहे।
जोड़ा न आता काम है
दामी मिला बेदाम है
कर काम जो निष्काम है।
१२-५-२०२२
•••
सॉनेट
सरल
*
वही तरता जो सरल है
सदा रुचता जो विमल है
कंठ अटके जो गरल है
खिले खिलखिलकर कमल है।
कौन कहिए नित नवल है
सचल भी है; है अचल भी
मलिन भी है, धवल भी है
अजल भी है; है सजल भी।
ठोस भी है; तरल भी है
यही असली है, नकल भी
अमिय भी है; गर्ल भी है
बेशकल पर हर शकल भी।
नित्य ढलता पर अटल है
काट उगता, वह फसल है।
१२-५-२०२२
•••
दोहा सलिला
चाँद-चाँदनी भूलकर, देखें केवल दाग?
हलुआ तज शूकर करे, विद्या से अनुराग।।
खाल बाल की निकालें, नहीं आदतन मीत।
अच्छे की तारीफ कर, दिल हारें दिल जीत।।
ठकुरसुहाती मत कहें, तजिए कड़वा बोल।
सत्य मधुरता से कहें, नहीं पीटने ढोल।।
शो भा सके तभी सलिल, जब शोभा शालीन।
अतिशय सज्जा-सादगी, कर मनु लगता दीन।।
खूबी-खामी देखकर, निज मत करिए व्यक्त।
एकांगी बातें करे, जो हो वह परित्यक्त।।
१२-५-२०२२
○○○

दोहा सलिला
*
मंगल है मंगल करें, विनती मंगलनाथ
जंगल में मंगल रहे, अब हर पल रघुनाथ
सभ्य मनुज ने कर दिया, सर्वनाश सब ओर
फिर हो थोड़ा जंगली, हो उज्जवल हर भोर
संपद की चिंता करें, पल-पल सब श्रीमंत
अवमूल्यित हैं मूल्य पर, बढ़ते मूल्य अनंत
नया एक पल पुराना, आजीवन दे साथ
साथ न दे पग तो रहे, कैसे उन्नत माथ?
रह मस्ती में मस्त मन, कभी न होगा पस्त
तज न दस्तकारी मनुज, दो-दो पाकर दस्त
१२-५-२०२०

एक दोहा

जब चाहा संवाद हो, तब हो गया विवाद
निर्विवाद में भी मिला, हमको छिपा विवाद.
***
मुक्तक:
.
कलकल बहते निर्झर गाते
पंछी कलरव गान सुनाते गान
मेरा भारत अनुपम अतुलित
लेने जन्म देवता आते
.
ऊषा-सूरज भोर उगाते
दिन सपने साकार कराते
सतरंगी संध्या मन मोहे
चंदा-तारे स्वप्न सजाते
.
एक साथ मिल बढ़ते जाते
गिरि-शिखरों पर चढ़ते जाते
सागर की गहराई नापें
आसमान पर उड़ मुस्काते
.
द्वार-द्वार अल्पना सजाते
रांगोली के रंग मन भाते
चौक पूरते करते पूजा
हर को हर दिन भजन सुनाते
.
शब्द-ब्रम्ह को शीश झुकाते
राष्ट्रदेव पर बलि-बलि जाते
धरती माँ की गोदी खेले
रेवा माँ में डूब नहाते
***
मुक्तिका:
*
चाह के चलन तो भ्रमर से हैं
श्वास औ' आस के समर से हैं
आपको समय की खबर ही नहीं
हमको पल भी हुए पहर से हैं
आपके रूप पे फ़िदा दुनिया
हम तो मन में बसे, नजर से हैं
मौन हैं आप, बोलते हैं नयन
मन्दिरों में बजे गजर से हैं
प्यार में हार हमें जीत हुई
आपके धार में लहर से हैं
भाते नाते नहीं हमें किंचित
प्यार के शत्रु हैं, कहर से हैं
गाँव सा दिल हमारा ले भी लो
क्या हुआ आप गर शहर से हैं.
***
***
बाल गीत
देश हित :
.
भारती के गीत गाना चाहिए
देश हित मस्तक कटाना चाहिए
.
मातृ भू भाषा जननि को कर नमन
गौ नदी हैं मातृ सम बिसरा न मन
प्रकृति मैया को न मैला कर कभी
शारदा माँ के चरण पर धर सुमन
लक्ष्मी माँ उसे ही मनुहारती
शक्ति माँ की जो उतारे आरती
स्वर्ग इस भू पर बसाना चाहिए
भारती के गीत गाना चाहिए
देश हित मस्तक कटाना चाहिए
.
प्यार माँ करती है हर संतान से
शीश उठता हर्ष सुख सम्मान से
अश्रु बरबस नयन में आते झलक
सुत शहीदों के अमर बलिदान से
शहादत है प्राण पूजा जो करें
वे अमरता का सनातन पथ वरें
शहीदों-प्रति सर झुकाना चाहिए
भारती के गीत गाना चाहिए
देश हित मस्तक कटाना चाहिए
.
देश-रक्षा हर मनुज का धर्म है
देश सेवा से न बढ़कर कर्म है
कहा गीता, बाइबिल, कुरआन ने
देश सेवा जिन्दगी का मर्म है
जब जहाँ जितना बने उतना करें
देश-रक्षा हित मरण भी हँस वरें
जियें जब तक मुस्कुराना चाहिए
भारती के गीत गाना चाहिए
देश हित मस्तक कटाना चाहिए
१२-५-२०१५

***
छंद सलिला:
निश्चल छंद
*
छंद-लक्षण: जाति रौद्राक, प्रति चरण मात्रा २३ मात्रा, यति १६-७, चरणांत गुरु लघु (तगण, जगण)
लक्षण छंद:
कर सोलह सिंगार, केकसी / पाने जीत
सात सुरों को साध, सुनाये / मोहक गीत
निश्चल ऋषि तप छोड़, ऱूप पर / रीझे आप
संत आसुरी मिलन, पुण्य कम / ज्यादा पाप
उदाहरण:
१. अक्षर-अक्षर जोड़ शब्द हो / लय मिल छंद
अलंकार रस बिम्ब भाव मिल / दें आनंद
काव्य सारगर्भित पाठक को / मोहे खूब
वक्ता-श्रोता कह-सुन पाते / सुख में डूब
२. माँ को करिए नमन, रही माँ / पूज्य सदैव
मरुथल में आँचल की छैंया / बगिया दैव
पाने माँ की गोद तरसते / खुद भगवान
एक दिवस क्या, कर जीवन भर / माँ का गान
३. मलिन हवा-पानी, धरती पर / नाचे मौत
शोर प्रदूषण अमन-चैन हर / जीवन-सौत
सर्वाधिक घातक चारित्रिक / पतन न भूल
स्वार्थ-द्वेष जीवन-बगिया में / चुभते शूल
१२-५-२०१४
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

***

नवगीत

कब होंगे आज़ाद???...

*

कब होंगे आजाद?

कहो हम

कब होंगे आजाद?



गए विदेशी पर देशी

अंग्रेज कर रहे शासन

भाषण देतीं सरकारें पर दे

न सकीं हैं राशन

मंत्री से संतरी तक कुटिल

कुतंत्री बनकर गिद्ध-

नोच-खा रहे

भारत माँ को

ले चटखारे स्वाद

कब होंगे आजाद?

कहो हम

कब होंगे आजाद?



नेता-अफसर दुर्योधन हैं,

जज-वकील धृतराष्ट्र

धमकी देता सकल राष्ट्र

को खुले आम महाराष्ट्र

आँख दिखाते सभी

पड़ोसी, देख हमारी फूट-

अपने ही हाथों

अपना घर

करते हम बर्बाद

कब होंगे आजाद?

कहो हम

कब होगे आजाद?



खाप और फतवे हैं अपने

मेल-जोल में रोड़ा

भष्टाचारी चौराहे पर खाए

न जब तक कोड़ा

तब तक वीर शहीदों के

हम बन न सकेंगे वारिस-

श्रम की पूजा हो

समाज में

ध्वस्त न हो मर्याद

कब होंगे आजाद?

कहो हम

कब होंगे आजाद?



पनघट फिर आबाद हो

सकें, चौपालें जीवंत

अमराई में कोयल कूके,

काग न हो श्रीमंत

बौरा-गौरा साथ कर सकें

नवभारत निर्माण-

जन न्यायालय पहुँच

गाँव में

विनत सुनें फ़रियाद-

कब होंगे आजाद?

कहो हम

कब होंगे आजाद?



रीति-नीति, आचार-विचारों

भाषा का हो ज्ञान

समझ बढ़े तो सीखें

रुचिकर धर्म प्रीति

विज्ञान

सुर न असुर, हम आदम

यदि बन पायेंगे इंसान-

स्वर्ग तभी तो

हो पायेगा

धरती पर आबाद

कब होंगे आजाद?

कहो हम

कब होंगे आजाद?

१२-५-२०११

***

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