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बुधवार, 18 जनवरी 2023

कृष्ण सोरठावली

 
कृष्ण सोरठावली

जपो कृष्ण का नाम, रंजन कर आलोक दें।

श्वास-श्वास बृज-धाम, बाधा-संकट रोक दें।।

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कृष्ण करें आकृष्ट, दूर न कोई रह सके।

निबल दीन के इष्ट, अकथ कथा को कह सके।।

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कभी कुवल्यापीड़, क्रश न कृष्ण को कर सके।

वही रहे बेपीड़, जिसे कृष्ण पर क्रश रहे।।

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उन्हें मानिए एक, कृष्णा-कृष्ण न भिन्न हैं।

जाग्रत रखें विवेक, काम-अकाम अभिन्न हैं।।

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कृष्ण प्रकृति के दूत, ग्वाल कृषक जमुना सखा।

गोवर्धन गौ पूत, ममता-माखन नित चखा।।

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करें अशुभ का नाश, कृष्ण सतत बदलाव हैं।

काटें भव-भय पाश, शुभ-सत्कर्म प्रभाव हैं।।

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नंद-यशोदा लाल, कान्हा जन-मन में बसे।

वेणु करों में थाम, राधा मन मंदिर रहे।।

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