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सोमवार, 26 जुलाई 2021

साहित्य संगम

साहित्य संगम को समर्पित 
जबलपुर में हो रहा 'साहित्य संगम' सफल हो
शारदा की हो कृपा, साहित्य महिमा अचल हो
 
श्रावणी वातावरण में, 'ज्ञानश्री' सब मिल वरें 
'तृप्ति' पायें; छंद 'छाया' बैठ कर कवि मन तरें 

स्नेह दें-लें, 'मंत्र' जीवन में यही पल-पल जपें 
हों अनंत 'बसंत' रच साहित्य सुंदर हम तपें 

'कलावती' हो 'मनीषा'; सृजन 'उमा' 'पूजा' सदृश 
'गीता' 'सुषमा' देख,  'सुरेखा' प्रगटे अदृश 
  
'मुकुल' मुकुल कर मेघ, कहें कीर्ति साहित्य की 
'रश्मि' 'दीप्ति' 'सुशील', 'ममता' मय आदित्य की  
 
'स्वर्ण लता' लख छंद की, 'मनसिज' आप प्रबुद्ध हो   
हों 'भगवान सहाय' आ, बुद्धि 'विनीता' सिद्ध हो 

'राजेश्वरी' 'आशीष' दें, 'लवकुश' 'रामप्रकाश' पा 
'शिवशंकर' हो आत्म, कर 'परिहार' 'नरेंद्र' आ

'राजन' हो 'राजेश', जब हो 'प्रियंक' 'सुधीर'  
'विक्रम' का 'अभिषेक' कर, 'प्रांशु' बने मतिधीर  

आ 'सुनील' 'जगदीश' भी, करता रस का पान 
पूजे सदा 'सतीश' को,  बन 'दिलीप' रसखान 
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