कीट दंश
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मधुमक्खी काटे अगर, गेंदा पत्ती आप।
मलें दर्द हो दूर झट, शांति सके मन व्याप।।
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पीस सोंठ केसर तगर, पानी संग सम भाग।
मधुमक्खी के दंश पर, लेप सराहें भाग।।
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मधुमक्खी के दंश पर, काट रगड़िए प्याज।
दर्द घटे पीड़ा मिटे, बन जाए झट काज।।
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बर्रैया काटे मलें, सिरका-शहद तुरंत।
चिंता तनिक न कीजिए, पीड़ा का हो अंत।।
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बर्र काट दे अगर तो, आक दूध मल मीत।
मुक्ति दर्द से पाइए, मर बिसराएँ रीत।।
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बर्र ततैया दंश से, पीड़ित हो यदि चाम।
मिटटी तेल लगाइए, मिले तुरत आराम।।
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माचिस-तीली-मसाला, गीला कर लें लेप।
कीट दंश में लाभ हो, बिसरा दें आक्षेप।।
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दंश ततैया का मिटे, मिर्च लेपिए पीस।
शीघ्र मिले आराम तो, आप निपोरें खीस।।
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डंक ततैया मार दे, मलिए मूली काट।
झट पीड़ा हरा दे, मनो धोबीपाट।।
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कीट दंश पर लगाएँ, झटपट अर्क कपूर।
दर्द मिटा सूजन करे, बिना देर यह दूर।।
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चौलाई-जड़ पीसकर गौ-घी संग कर पान।
कीट जहर से मुक्त हों, पड़े जान में जान।।
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सिरका और कपूर संग, धनिया-पत्ती-अर्क।
कीट दंश पर लगाएँ, मारिए नहीं कुतर्क।।
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दोहा-दोहा चिकित्सा
श्वान दंश
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पीस-घोल चौलाई जड़, बार-बार पी आप।
श्वान जहर हो शीघ्र कम, भैरव का कर जाप।।
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पिसी प्याज मधु मिलाकर, बाँधें दिखे न घाव।
विष-प्रभाव हो नष्ट अरु, बढ़े न तनिक प्रभाव।।
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आक धतूरा पुनर्नवा जड़ लेकर सम भाग।
मधु में पीस लगाइए, मिटे दंश की आग।।
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लाल मिर्च का पाउडर, श्वान दंश पर बाँध।
जलन न यदि पागल कुकुर, अगर न जानें आँध।।
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मुर्ग-बीट पानी मिला, श्वान दंश पर लेप।
शयन न कर जागे रहें, विष कम हो मत झेंप।।
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गूदा कड़वी तुरई का, घोल-छान पी मीत।
पाँच दिनों दोनों समय, करिए स्वस्थ्य प्रतीत।।
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सेंधा नमक-गिलोय का गूदा बाँधें रोज।
श्वान जहर हो नष्ट फिर, हो चेहरे पर ओज।।
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काली मिर्च पिसी सहित, सरसों तेल सुलेप।
श्वान दंश विष नष्ट कर, हरे दर्द की खेप।।
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हींग पीस पानी सहित, श्वान-दंश पर बाँध।।
शीघ्र स्वस्थ्य हो जाइए, मिले न माँगे काँध।।
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सबसे सरल उपाय है, रहें श्वान से दूर।
हो समीप तो सजगता, रखें आप भरपूर।।
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श्वान काट ले तो सलिल, हो सकता उपचार।
नेता काटे तो नहीं, बचते किसी प्रकार।।
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गए चिकित्सालय अगर, लूट मचेगी खूब।
जान बचे या मत बचे, क़र्ज़ चढ़ेगा खूब।।
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संजीव ९४२५१८३२४४
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