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रविवार, 7 जून 2020

एक रचना-
*
शिव-राज में
शव-राज की
जयकार कीजिए.
*
मर्ज कर्ज का बढ़ाकर
करें नहीं उपचार.
उत्पादक को भिखारी
बना करें सत्कार.
गोली मारें फिर कहें
अन्यों का है काम.
लोकतंत्र का हो रहा
पल-पल काम तमाम.
दे सर्प-दंश
रोग का
उपचार कीजिए.
शिव-राज में
शव-राज की
जयकार कीजिए.
*
व्यापम हुआ गवाह रहे
हैं नहीं बाकी.
सत्ता-सुरा सुरूर चढ़ा,
गुंडई साकी.
खाकी बनी चेरी कुचलती
आम जन को नित्य.
झूठ को जनप्रतिनिधि ही
कह रहे हैं सत्य.
बाजीगरी ही
आंकड़ों की
आप कीजिए.
शिव-राज में
शव-राज की
जयकार कीजिए.
*
कर-वृद्धि से टूटी कमर
कर न सके कर.
बैंकों की दे उधार,गड़ी
जमीं पे नजर.
पैदा करो, न दाम पा
सूली पे जा चढ़ो.
माला खरीदो, चित्र अपना
आप ही मढ़ो.
टूटे न नींद,
हो न खलल
ज़हर पीजिए.
शिव-राज में
शव-राज की
जयकार कीजिए.
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७-६-२०१७ 

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