शारदा वंदन
माँ शारदे! स्वर-सार दे
लय-भाव-रस उपहार दे
सुत को यही वरदान दे
रच छंद तुझ पर वार दे
भटका न लेकिन पा सका
माँ! कर दया; अब सार दे
मोती न हीरे चाहिए
आशीष का गलहार दे
कुछ और चाहे हो नहीं
रचनाओं में भर प्यार दे
१३-३-२०२०
माँ शारदे! स्वर-सार दे
लय-भाव-रस उपहार दे
सुत को यही वरदान दे
रच छंद तुझ पर वार दे
भटका न लेकिन पा सका
माँ! कर दया; अब सार दे
मोती न हीरे चाहिए
आशीष का गलहार दे
कुछ और चाहे हो नहीं
रचनाओं में भर प्यार दे
१३-३-२०२०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें