सरस्वती वंदना
शारद मैया! शत शत वंदन
अक्षर अक्षर सुमन समर्पित,
शब्द शब्द है अक्षत चंदन।
शारद मैया! शत शत वंदन।।
श्वास श्वास तुम, अास तुम्हीं हो
अंकुर-पल्लव हास तुम्हीं हो।
तुम्हीं तिमिर हो, तुम उजास भी-
आशा सुषमा लास तुम्हीं हो।
तुम ही शब्द शक्ति अभिनंदन
शारद मैया! शत शत वंदन।।
ऊषा प्राची सूरज हो तुम
भू नभ दस दिश कण रज हो तुम।
नीरज नीरद नीर तुम्हीं हो
शौर्य पताका, श्रम-ध्वज हो तुम।
हमें हर्ष दो, हर हर क्रंदन
शारद मैया! शत शत वंदन।।
रचना रचनाकार अमर तुम
मिथ्याहारी सत्य समर तुम।
साध्य साधना हो साधक भी-
युग पाखी हो, पल का पर तुम।
मरुथल समुद तुम्हीं वन नंदन
शारद मैया! शत शत वंदन
*
१५-६-२०२०
शारद मैया! शत शत वंदन
अक्षर अक्षर सुमन समर्पित,
शब्द शब्द है अक्षत चंदन।
शारद मैया! शत शत वंदन।।
श्वास श्वास तुम, अास तुम्हीं हो
अंकुर-पल्लव हास तुम्हीं हो।
तुम्हीं तिमिर हो, तुम उजास भी-
आशा सुषमा लास तुम्हीं हो।
तुम ही शब्द शक्ति अभिनंदन
शारद मैया! शत शत वंदन।।
ऊषा प्राची सूरज हो तुम
भू नभ दस दिश कण रज हो तुम।
नीरज नीरद नीर तुम्हीं हो
शौर्य पताका, श्रम-ध्वज हो तुम।
हमें हर्ष दो, हर हर क्रंदन
शारद मैया! शत शत वंदन।।
रचना रचनाकार अमर तुम
मिथ्याहारी सत्य समर तुम।
साध्य साधना हो साधक भी-
युग पाखी हो, पल का पर तुम।
मरुथल समुद तुम्हीं वन नंदन
शारद मैया! शत शत वंदन
*
१५-६-२०२०
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