"आदरणीया मंजूषा मन,
आप आचार्य संजीव 'सलिल' से चार वर्ष पूर्व मिलीं और इतना कुछ लिख डाला, हम दादा को विगत २५ वर्षों से
जानते हैं।
'लोकतंत्र का मकबरा' काव्य-संग्रह का लोकार्पण उन्होंने कृपाकर हमारे लखनऊ आवास पर आकर श्री गिरीश नारायण पाण्डेय, वरि०साहि० एवं तत्कालीन आयकर आयुक्त के कर-कमलों द्वारा लखनऊ नगर के साहित्य -कारों के बीच इं०अमरनाथ और इं० गोविन्दप्रसाद तथा इं०संतोष प्रकाश माथुर ,संयुक्त प्र०नि०सेतु निगम एवं अध्यक्ष 'अभियान' की उपस्थिति में कराया था।
बाद में वे इन्स्टीट्यूटशन्स आफ़ इन्जीनियर्स आफ़ इण्डिया आदि की पत्रिका से सम्बद्ध होकर हिन्दी की सेवा में अभूतपूर्व कार्य करते रहे।
नर्मदा विषयक उनके कार्य का सानी नहीं तो महादेवी वर्मा से प्राप्त आशीष जगत् विख्यात है।
हमने आचार्य संजीव 'सलिल' को सदैव की भाँति सरल, गम्भीर, स्मित हास्य-युक्त उनका व्यक्तित्व मोहित करता है।
आपने उनके विषय में जो भी कहा अक्षरश: सत्य है।"
-देवकी नन्दन'शान्त',साहित्यभूषण, 'शान्तम्',१०/३०/२,इन्दिरानगर, लखनऊ-२२६०१६(उ०प्र०), मो० 9935217841;8840549296
आप आचार्य संजीव 'सलिल' से चार वर्ष पूर्व मिलीं और इतना कुछ लिख डाला, हम दादा को विगत २५ वर्षों से
जानते हैं।
'लोकतंत्र का मकबरा' काव्य-संग्रह का लोकार्पण उन्होंने कृपाकर हमारे लखनऊ आवास पर आकर श्री गिरीश नारायण पाण्डेय, वरि०साहि० एवं तत्कालीन आयकर आयुक्त के कर-कमलों द्वारा लखनऊ नगर के साहित्य -कारों के बीच इं०अमरनाथ और इं० गोविन्दप्रसाद तथा इं०संतोष प्रकाश माथुर ,संयुक्त प्र०नि०सेतु निगम एवं अध्यक्ष 'अभियान' की उपस्थिति में कराया था।
बाद में वे इन्स्टीट्यूटशन्स आफ़ इन्जीनियर्स आफ़ इण्डिया आदि की पत्रिका से सम्बद्ध होकर हिन्दी की सेवा में अभूतपूर्व कार्य करते रहे।
नर्मदा विषयक उनके कार्य का सानी नहीं तो महादेवी वर्मा से प्राप्त आशीष जगत् विख्यात है।
हमने आचार्य संजीव 'सलिल' को सदैव की भाँति सरल, गम्भीर, स्मित हास्य-युक्त उनका व्यक्तित्व मोहित करता है।
आपने उनके विषय में जो भी कहा अक्षरश: सत्य है।"
-देवकी नन्दन'शान्त',साहित्यभूषण, 'शान्तम्',१०/३०/२,इन्दिरानगर, लखनऊ-२२६०१६(उ०प्र०), मो० 9935217841;8840549296
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