बरवै गीत :
संसद में हुल्लड़ कर, बैठ न मौन।
क्या करता-क्यों? पूछे, तुझसे कौन?
*
घर पर बोले तो पड़, जाती मार।
घरवाली बैठी है, खाकर खार।।
मतदाता भी समझा, सारी पोल।
राजनीति है केवल, पोलमपोल।।
वाद कर, झट जुमला कह दे जौन
संसद में हुल्लड़ कर, बैठ न मौन।
क्या करता-क्यों? पूछे, तुझसे कौन?
*
बात न करते भेजें, मैसेज रोज।
बीबी छोड़ पड़ोसन, की है खोज।।
नाती लेते नानी, का अब नाम।
दक्षिणपंथी सोच हो, गयी वाम।।
टेबल रटें भूलकर, अद्धा-पौन
संसद में हुल्लड़ कर, बैठ न मौन।
क्या करता-क्यों? पूछे, तुझसे कौन?
*
संयम को समझें यम, का कानून।
हरिश्चंद्र नित करता, सच का खून।।
दिखा-दिखा कर प्रभु को, खाता आप।
कहे रास-लीला है, कैसे पाप?
मस्जिद-गिरजा-मंदिर सबमें यौन
संसद में हुल्लड़ कर, बैठ न मौन।
क्या करता-क्यों? पूछे, तुझसे कौन?
*
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