दोहा कहता युग कथा १
इतमें हम महाराज
----------------------
----------------------
महाकवि बिहारी के भांजे लोकनाथ चौबे जयपुर दरबार के मानद कवि थे। चौबेजी को 'महाराज' कहा ही जाता है। तो हुआ क्या, एक बार चौबेजी गाँव गए हुए थे। वहाँ उन्हें रुपयों की आवश्यकता हुई, तो उन्होंने स्थानीय सेठ को राजा के नाम एक हजार की हुण्डी लिख कर दे दी, साथ में एक प्रशस्ति का छंद भी लिख कर दे दिया। राजा मान सिंह ने हुण्डी तो स्वीकार कर ली, लेकिन जवाब में एक दोहा भी लिख भेजा :
इतमें हम महाराज हैं, उतमें तुम महाराज।
हुण्डी करी हज़ार की, नेक न आई लाज।।
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें