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शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

Sandhya Chaturvedi

Thu, Aug 30


  
मनहरण धनाक्षरी


कृष्णा संग बसे राधा
बिन श्याम सब आधा
मन बसे रूप सादा
ये ही सच्ची प्रीत है।
श्याम जब से मिले हो
कष्ट सारे ही हरे हो
बजे मधुर सँगीत
ये  प्रेम की रीत हैं।
दिल में तूम बसे हो
मन मे तूम रमें हो
मेरा तो बस कृष्ण ही
सच्चा मनमीत है।
मधुर कितना लगे
जब प्रभु भक्ति जगे
दिल के तार बजे है
जीवन संगीत है।

✍संध्या चतुर्वेदी
मथुरा

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