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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

सामयिक गीत: लाचार है... संजीव 'सलिल'

सामयिक गीत:                                                                    

लाचार है...

संजीव 'सलिल'
*
मुखिया तो लाचार है,
हालत से बेज़ार है.....
*
जीवन भर था यह अधिकारी.
जो पायी आज्ञा स्वीकारी..
इटली की मैडम का सेवक-
वह दाता, यह दीन-भिखारी.

ना संसद में, ना जनता में
इसका कुछ आधार है...
*
कुर्सी पकड़ बन गया दूला.
मौनी बाबा झूले झूला..
साथी-संगी लोभी-लोलुप-
खुद लगता है बहरा-लूला..

अमरीकी सत्ता का सच्चा
यह फर्माबरदार है...
*
हर कोई मन-मर्जी करता.
चरा समझ देश-धन चरता.
बेकाबू है तन्त्र-प्रशासन.
जी-जीकर भी हर पल मरता..

बेकाबू हर मंत्री वाली
असरहीन सरकार है...
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

16 टिप्‍पणियां:

shriprakash shukla ✆ ekavita ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी
आप की कई सुन्दर रचनाएं पिछले कुछ दिनों में पढ़ी लेकिन अंतरजाल ने वहीँ उत्तर नहीं देने दिया बिना text के ही उत्तर भेज दिया .अतह अलग से प्रतिक्रिया लिखनी पढ़ी . आपकी सभी रचनाएं निसंदेह बहुत मन मोहक रहीं आप को अनेकानेक बधाईयां
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल

Divya Narmada ने कहा…

उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद. आपका आशीष निरंतर लिखने की प्रेरणा देता है. यहाँ गांवों में खात लिखते समय लिका जाता है 'कम लिखे को अधिक समझना' मैंने इसे 'बिन लिखे को सबसे अधिक समझना' मान लिया, अतः, कोई कठिनाई नहीं है.

sn Sharma ✆ ekavita ने कहा…

आ० आचार्य जी ,
आपकी लेखनी में तो
कमाल की धार है
मारे भी रोने न दे
इतनी पैनी धार है
सादर
कमल

Divya Narmada ने कहा…

धार सलिल की कमल से, शोभा पाती मीत.
जीवन मिलता धार को, जब मिलती है प्रीत..

Navin C. Chaturvedi ने कहा…

इटली की मैडम का सेवक-
वह दाता, यह दीन-भिखारी.
salil ji
ye panktiyan agar aap ke nam bina hoti to bhi ek baragi mujhe lagta ki ye apki hi ho sakti hain.

- dkspoet@yahoo.com ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी,
सामयिक होने के साथ साथ सुंदर और सटीक भी है यह गीत।

सादर

धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’

Dr.M.C. Gupta ✆ ekavita ने कहा…

पढ़ कर दिल से आई आवाज़
सलिल नर्मदा ज़िंदाबाद.

--ख़लिश

- प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बहुत अच्छा निरूपण किया है -बिलकुल सटीक !
- प्रतिभा सक्सेना

Amitabh Tripathi ✆ ekavita ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी
अच्छा कटाक्ष किया अपने अपनी सीढ़ी और सरल भाषा में
बधाई!
सादर
अमित

मदन मोहन 'अरविन्द' ने कहा…

- madanmohanarvind@gmail.com

आचार्य जी,
आपने सच की आवाज बुलंद की है, पूरी क्षमता के साथ.

मेरी ओर से हार्दिक बधाई, अगर जन-चेतना जागृत करनी है तो सच्ची तस्वीर दिखानी होगी.

सच कहने वालों को आगे आना होगा.
सादर
मदन मोहन 'अरविन्द'

shar_j_n ekavita ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी,
अपने दृष्टिकोण को बहुत प्रभाव शाली ढंग से व्यक्त करती हुई कविता!
सादर शार्दुला

शकुन्तला बहादुर ने कहा…

- shakun.bahadur@gmail.com

आदरणीय आचार्य जी,

धारदार सशक्त कविता के माध्यम से आपका दृष्टिकोण प्रभावी है।
आपका साधुवाद !!

शकुन्तला बहादुर

sn Sharma ✆ ने कहा…

४:३६ अपराह्न (2 घंटों पहले)

आ आचार्य जी ,
आपके'लाचार है' गीत पर समूह के सर्व- सक्रिय एक पाठक द्वारा आपको व नर्मदा को जिंदाबाद मिला है और उसे निरूपण की प्रशंसा एक शीर्ष स्तर की कवियित्री ने की है | जबकि मुझे वह जिंदाबाद ही एक भोंडा मजाक अप्रासंगिक
और व्यंगोक्ति लगा | इस पर आपकी क्या राय है ?

सादर
कमल

sanjiv 'salil' ने कहा…

सभी बड़े हैं ई कविता पर, जिससे जो आशीष मिला.
शिरोधार्य कर सलिल-धार में, नित नव रचना-सुमन खिला..
जिसको जो अनुभूति हुई, उसने वैसी अभिव्यक्ति करी.
सलिल अकिंचन ने सिर-माथे, प्रीत-पाँखुरी विहँस धरी..

Amitabh Tripathi ✆ ekavita … ने कहा…

त्रुटि सुधार सीढ़ी के स्थान पर सीधी पढ़ें|

Dinesh pareek ने कहा…

शुभागमन...! हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसके दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । शुभकामनाओं सहित... http://najariya.blogspot.com