नीना वर्मा- एक उदीयमान कवयित्री
महाराष्ट्र सरकार के महालेखाकार कार्यालय में अंकेक्षण निदेशक के पद पर कार्यरत नीना वर्मा समृद्ध साहित्यिक विरासत की धनी हैं. आपके बाबा स्व. जगन्नाथप्रसाद वर्मा कैप्टेन मुंजे और डॉ. हेडगेवार के सहयोगी और राम सेना-शिव सेना के संस्थापक थे. विदुषी माता प्रभा देवी तथा न्यायाधीश पिता कृष्ण कुमार वर्मा से प्राप्त नीर-क्षीर विवेक बुद्धि संपन्न नीना के सद्य प्रकाशित काव्य संग्रह 'मृग- तृष्णा' से प्रस्तुत हैं कुछ रचनाये. विख्यात कवि कृष्ण कुमार चौबे के अनुसार- 'कल्पना के मधुर लोक में विचरण... यथार्थ के कठोर धरातल पर उतर सच्चाई से साक्षात्कार... आशावादी चिंतन, मानवीय संवेदनाओं और यथार्थ व कल्पना का सम्मिश्रण' नीना की रचनाओं की विशेषता है. --सलिल
फूल
फूल खिला है
कोमल सा प्यारा.
छोटा सा है उसका
जीवन सारा.
ओस की बूँदों में
चिलचिलाती धूप में
उसका यौवन.
अंत है उसका
सूरज की आख़िरी किरण..
*************
माँ
माँ है एक अनोखी पहेली.
बच्चों का दुःख है
जसकी परेशानी.
बच्चों का सुख ही
उसकी जिंदगानी.
कभी वह गुरु तो
कभी है साथी.
कभी है प्रेरणा,
कभी ज़िम्मेदारी.
है निःस्वार्थ,
निर्मल प्रेम की
अविरल धारा.
या सच्ची मित्रता का
सबल सहारा.
कभी पकवानों की रेल-पेल
कभी सख्ती की ठेलम-ठेल.
है विशवास यही हमारा
ईश्वर के बाद
माँ ही है सहारा..
**********
भोर
कुछ अलसाई सी हुई है आज की भोर
कोहरे की चादर तले ढका हर मंज़र
सोया-सोया सा है मानो सारा नगर
सभी को मानो सूरज के सुनहरे स्पर्श का इंतज़ार.
गुल भी ओस तले कुछ उनींदे से
पेड़-पौधे भी लगते कुछ अलसाये से.
पंछियों की चहचहाहट भी कुछ मद्धम सी
सारी फिजा है भीगी-भीगी सी.
हर किसी को शायद यही इन्तिज़ार
जाने कब बाँहें फैलाये आये धूप
सहलाकर सभी को गुनगुनी किरणों से
कण-कण में कर दे जीवन संचार..
********************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें