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गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

भोजपुरी दोहे: संजीव 'सलिल'

भोजपुरी दोहे:

संजीव 'सलिल'

रूप धधा के मोर जस, नचली सहरी नार.
गोड़ देख ली छा गइल, घिरना- भागा यार..

*
बाग़-बगीचा जाई के, खाइल पाकल आम.
साझे के सेनुरिहवा, मीठ लगल बिन दाम..
*
अजबे चम्मक आँखि में, जे पानी हिलकोर.
कनवा राजकुमार के, कथा कहsसु जे लोर..
*
कहतानी नीमन कsथा, जाई बइठि मचान.
ऊभ-चूभ कउआ हंकन, हीरामन कहतान..
*
कंकहि फेरी कज्जर लगा, शीशा देखल बेर.
आपन आँचर सँवारत, पल-पल लगल अबेर..
*

दोहा का रचना विधान:

दोहा में दो पद (पंक्तियाँ) तथा हर पंक्ति में २ चरण होते हैं. विषम (प्रथम व तृतीय) चरण में १३-१३ मात्राएँ तथा सम (२रे व ४ थे) चरण में ११-११
मात्राएँ, इस तरह हर पद में २४-२४ कुल ४८ मात्राएँ होती हैं. दोनों पदों या
सम चरणों के अंत में गुरु-लघु मात्र होना अनिवार्य है. विषम चरण के आरम्भ
में एक ही शब्द जगण (लघु गुरु लघु) वर्जित है. विषम चरण के अंत में सगण,
रगण या नगण तथा सम चरणों के अंत में जगण या तगण हो तो दोहे में लय दोष
स्वतः मिट जाता है. अ, इ, , ऋ लघु (१) तथा शेष सभी गुरु (२) मात्राएँ
गिनी जाती हैं.

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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

12 टिप्‍पणियां:

navin bhojpuria ने कहा…

सलिल जी प्रणाम आ जय भोजपुरी

हमेशा लेखा ई दोहा के संकलन भी बहुत ही नीमन बनल बा । राउर एह दोहा के संकलन के हमेशा इंतेजार रहेला ।


साधुवाद !


जय भोजपुरी

nikhil pandey ने कहा…

wah wah ... pranam swikaar kari..... gagar me sagar ba.... raaur doha.............

कंकहि फेरी कज्जर लगा, शीशा देखल बेर.
आपन आँचर सँवारत, पल-पल लगल अबेर..

sanjay pandey. ने कहा…

सलिल जी पर्णाम आ जय भोजपुरी |
एक बार फिर लाजवाब रचना पढ़े के मिलल |
और एह बार पढ़े के साथ साथ मात्रा के भी जानकारी सोने पे सुहागा बा हमानी खातिर |
धन्यवाद ,, जय भोजपुरी
संजय पांडे

Sudhir Kumar ने कहा…

सलिल जी, प्रणाम आ जय भोजपुरी...
हमेशा का तरह राउर दोहा बहुत ही बढिया बाटे. आ एह बेर त रउआ दोहा के बारे में तकनीकी जानकारी भी देले बानी. एकरा के पढला के बाद शायद कुछ नया लोग भी दोहा लिखे के कोशिश करी.

mrs. saroj ने कहा…

सलिल जी, प्रणाम
राउर दोहा हमेशा व्यावहारिक और शुद्ध भोजपुरी में रहेला इसे पढ़े में बहुत आनंद आवेला .....
और दोहा लिखे विधि बतावे खातिर धन्यवाद्
जय भोजपुरी

Ravi Pratap Sahi ने कहा…

सलिल जी ,

आप के सब पोस्ट सरल आ नया होला ...
हमके त राउर दोहा और कविता पढ़ के भोजपुरी से औरो लगाव होत बा ...केतना मीठ और भाव गर्भित पोस्ट रहेला...
बहुत धन्याबाद ... एहिजा भाव के सरयू बहावे खातिर.... ( देओरिया , गोरखपुर में बचपन बितला से ...सरयू जी ही ध्यान में आवेली )

sanjiv 'salil' ने कहा…

रवि प्रताप से निखिल जग, लगे नवीन सरोज.
संजय सँग देखे 'सलिल', कण-कण में नव ओज..

आप सबका धन्यवाद

Sanjiv Verma 'Salil' ने कहा…

एक अनुरोध...

आप सभी एक-एक दोहा चुनें और उसकी मात्रा गिनकर बताएँ.
उदाहरण:
बड़ा हुआ तो क्या हुआ,
१+२ + १+२ + २ + २ + १+२ =१३
जैसे पेड़ खजूर.
२+२ + २+१ +१+२+१ =११
पंछी को छाया नहीं,
२+२ + २ + २+२ + १+२= १३
फल लागे अति दूर.
१+१+ २+२+ १+१+२+१ =११

pragya pandey … ने कहा…

आप त ठेंठ भोजपुरी में बहुते सुंन्दर रंग जमवली ह . ढेर दिन पर ककही शब्द से फिर भेंट भईल .बहुत बधाई .!

SAMVEDANA KE SWAR … ने कहा…

आपन दोहा पढला के बाद बुझा गईल कि नीमन लिखला के आनंदे कुछ अऊर बा...छंद देखके बुझाईल ना कि कऊनो भाषा के बंधन

SAMVEDANA KE SWAR … ने कहा…

तनी फॉन्ट बड़ कर लेल जाओ...

Udan Tashtari ने… ने कहा…

बहुत अच्छा लगा भोजपुरी दोहे पढ़ना