शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली एक अंतहीन प्रक्रिया है।
हमारे देश में शिक्षा सामान्यतः केवल अच्छी नौकरी पाने का एक माध्यम ही मानी जाती है!‘थ्री इडियट्स‘ फिल्म ने इस विचार के विपरीत आदर्श स्थापित करने का एक छोटा सा प्रयत्न किया है! दरअसल शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली एक अंतहीन प्रक्रिया है। हमारे माननीय सी.एम.डी. पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर श्री पंकज अग्रवाल आई.ए.एस हम सबके लिये प्रेरणा स्त्रोत है।
विगत वर्ष वे मैनेजमेंट में उच्च शिक्षा हेतु विदेश गये थे। ओपन युनिवर्सिटी के कानसेप्ट के अनुरूप नौकरी करते हुये अपने ज्ञान का विस्तार करते रहना आप सब भी सीख सकते है। माननीय सी.एम.डी. महोदय की बिदाई के समय मैंने लिखा था ‘‘हो सके तो लौटकर कहना कि फिर से लौट आना है!‘ आज वे पुनः हमारे बीच है। स्वागत है सर! नई ऊर्जा के साथ, ऊर्जा जगत के नेतृत्व का स्वागत।
हमने उनसे उनके विगत वर्ष के शैक्षिक पाठ्यक्रम के अनुभवो पर बातचीत की, प्रस्तुत है कुछ अंश-
सबसे पहले हमने जानना चाहा कि-
मैनेजमेंट में उच्च शिक्षा लेने की प्रेरणा किस तरह हुई
धीर, गंभीर सहज सरल स्वर में उन्होंने बताया - इंजीनियरिंग की शिक्षा के साथ मैं प्रशासनिक सेवा में हूं। प्रशासनिक मैनेजमेंट की नवीनतम तकनीको के प्रति मेरी गहन रूचि रही है। इंटरनेट विभिन्न सेमीनार इत्यादि के माध्यम से मैं लगातार ज्ञान के विस्तार में रूचि रखता हूं। मेरा मानना है कि शिक्षा से हमारे व्यक्तित्व का सकारात्मक विस्तार होता है। अतः मैंने यह पाठ्यक्रम करने का मन बनाया।
यह कोर्स किस संस्थान से किया जावे इसका निर्णय आपने किस तरह लिया
ली कूएन यू स्कूल आफ पब्लिक पालिसी, सिंगापुर विश्व का एक ऐसा संस्थान है जो कि एशिया के विभिन्न देशो की राजनैतिक, सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों पर फोकस करते हुये यह पाठ्यक्रम चलाता है जिसमें शैक्षिक गतिविधि दो हिस्सों में बंटी हुई है पहले हिस्से में जनवरी से अगस्त तक सिंगापुर में ही क्लासरूम आधारित पाठ्यक्रम होता है। दूसरे चरण में हावर्ड केनली स्कूल यू.एस.ए. में अगस्त से दिसम्बर तक शिक्षार्थी द्वारा चुने गये विषयों पर (इलेक्टिव शिक्षण होता है। यह पाठ्यक्रम वैश्विक स्तर का है एवं अपनी तरह का विशिष्ट है जिसमें विश्व स्तर पर एक्सपोजर के अवसर मिलते है।
आपने आई.आई.टी. से बी.टेक एवं आई.आई.एम. अहमदाबाद से शार्ट टर्म कोर्स भी किया था तो विदेशो की शिक्षण व्यवस्था और भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की शिक्षण प्रणाली में आपको कोई आधारभूत अंतर लगा वहां आप वैश्विक रूप से विभिन्न देशों के शिक्षार्थियों के बीच रहे आपके विशेष अनुभव-
शिक्षण व्यवस्था में हमारे उच्च शिक्षा संस्थान किसी भी विश्व स्तरीय संस्थान से कम नहीं है आई.आई.एम. एवं वहा की षिक्षण पद्धति समान है सिंगापुर में 8 विभिन्न देषों के 22 षिक्षार्थियों का हमारा ग्रुप था। जब हम दूसरे चरण में हावर्ड केनली स्कूल यू.एस.ए. में थे तब यू.एस. एवं अन्य देषों के 900 छात्रों के बीच, विभिन्न इलेक्टिव विषयों के लिये अलग-अलग ग्रुप थे। अतः विश्व स्तर के श्रेष्ठ लोगों से मिलने उन्हें समझने के अवसर प्राप्त हुये। हावर्ड केनली स्कूल में एवं जो विषेष बात मैने नोट की वह यह थी कि वहां छात्रों के विचारो का सम्मान करने की बहुत अच्छी परम्परा है। वहाँ विषय विषेषज्ञ अपने विचार शिक्षार्थियों पर थोपते नहीं हैं वरन् ‘‘दे आर ओपन टु अवर आइडियाज्‘‘वहां कानसेप्ट बेस्ट शिक्षा है। न केवल उच्च शिक्षा में वरन् वहां स्कूलों में भी सारी शिक्षा प्रणाली प्रेक्टिकल बेस्ड है मेरी बेटी ने वहां ग्रेड फोर (क्लास चार की पढ़ाई की जब उसे इलेक्ट्रिसिटी का पाठ पढ़ाया गया तो उसे प्रयोगशाला में बल्ब बैटरी और तार के साथ प्रयोग करने के लिये छोड दिया गया स्वंय ही बल्ब को जलाकर उसने इलेक्ट्रिसिटी के विषय में प्रारंभिक ज्ञान प्राप्त किया।
पारिवारिक जिम्मेदारियां कई लोगों को चाहते हुये भी नौकरी में आने के बाद उच्च शिक्षा लेने में बाधा बन जाती है आपके इस पाठ्यक्रम में श्रीमती अग्रवाल व आपकी बिटिया के सहयोग पर आप क्या कहना चाहेंगे
मैं सपरिवार ही पूरे वर्ष अध्ययन कार्य पर रहा । श्रीमती अग्रवाल को अवश्य ही अपने कार्य से एक वर्ष का अवकाश लेना पडा बिटिया छोटी है वह अभी क्लास चार में है। अतः उसकी पढ़ाई वहां दोनों ही स्थानो पर सुगमता से जारी रह सकी। यह अध्ययन का एक वर्ष हम सबके लिये अनेक सुखद चिरस्मरणीय एवं नई-नई यादों का समय रहा है। इस समय में हमने दुनिया का श्रेष्ठ देखा समझा जाना और अनुभव किया । बिना परिवार के सहयोग के यह अध्ययन संभव नहीं था, पर हां किसी को कोई कम्प्रोमाइज नहीं करना पड़ा।
आम कर्मचारियों के नौकरी के साथ उच्च षिक्षा को नौकरी में आर्थिक लाभ से जोड़कर देखने के दृष्टिकोण पर आप क्या कहना चाहेंगे
हमें जीवन में शिक्षा जैसे व्यक्तित्व विकास के संसाधन को केवल आर्थिक दृष्टिकोण से जोडकर नहीं देखना चाहिये। ज्ञान का विस्तार इससे कहीं अधिक महत्तवपूर्ण है। यदि मैनेजमेंट की भाषा में कहे तो इससे हमारी ‘‘मार्केट वैल्यू‘‘ स्वतः सदा के लिये ही बढ़ जाती है जिसके सामने एक-दो इंक्रीमेंट के आर्थिक लाभ नगण्य है।
आपके द्वारा किये गये कोर्स से आपको क्या लाभ लग रहे है
निश्चित ही इस समूचे अनुभव से मेरे आउटलुक में बदलाव आया है, सोचने, समझने तथा क्रियान्वयन के दृष्टिकोण में भारतीय परिपेक्ष्य में पब्लिक मैनेजमेंट के इस पाठ्यक्रम के सकारात्मक लाभ है, जो दीर्धकालिक है।
इस परिपेक्ष्य में हमारे लिये आप क्या संदेष देना चाहेंगे
‘‘आत्म निरीक्षण आवष्यक है। स्वंय अपनी समीक्षा करें। अपने दीर्धकालिक लक्ष्य बनाये और सकारात्मक विचारधारा के लाभ उनकी पूर्ति हेतु संपूर्ण प्रयास करें। इससे आप स्वंय अपने लिये एवं कंपनी के लिये भी अपनी उपयोगिता प्रमाणित कर पायेंगे। इन सर्विस ट्रेनिंग रिफ्रशर कोर्स सेमीनारों में भागीदारी आपको अपडेट रखती है इसी दृष्टिकोण से मैंने कंपनी का ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करवाया है हमारे अधिकारियों कर्मचारियों को भी अन्य संस्थानों में समय-समय पर प्रषिक्षण हेतु भेजा जाता है। आवश्यक है कि इस समूचे व्यय का कंपनी के हित में रचनात्मक उपयोग किया जावे, जो आपको ही करना है।‘‘
साक्षात्कार- विवेक रंजन श्रीवास्तव
जबलपुर
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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रविवार, 25 अप्रैल 2010
शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली एक अंतहीन प्रक्रिया है।...Pankaj Agrawal IAS

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