गीतिका
संजीव 'सलिल'
वक्त और हालात की बातें
खालिस शह औ' मात की बातें..
दिलवर सुन ले दिल कहता है .
अनकहनी ज़ज्बात की बातें ..
मिलीं भरोसे को बदले में,
महज दगा-छल-घात की बातें..
दिन वह सुनने से भी डरता
होती हैं जो रात की बातें ..
क़द से बहार जब भी निकलो
मत भूलो औकात की बातें ..
खिदमत ख़ुद की कर लो पहले
तब सोचो खिदमात की बातें ..
'सलिल' मिले दीदार उसी को
जो करता है जात की बातें..
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
गीतिका: वक्त और हालात की बातें --संजीव 'सलिल'
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3 टिप्पणियां:
Pahli bar apke blog par aaya hu orkut ke jariye ab aata rahugna very nice post
सुन्दर रचना....
kanhaiyakrishna@hotmail.com
आचार्य जी,
छोटे बहर की बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने को मिली है.
मेरी तरफ से बहुत -बहुत धन्यवाद स्वीकारें
-कृष्ण कन्हैया
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