नव वर्ष पर नवगीत
संजीव 'सलिल'
*
महाकाल के महाग्रंथ का
नया पृष्ठ फिर आज खुल रहा....
*
वह काटोगे,
जो बोया है.
वह पाओगे,
जो खोया है.
सत्य-असत, शुभ-अशुभ तुला पर
कर्म-मर्म सब आज तुल रहा....
*
खुद अपना
मूल्यांकन कर लो.
निज मन का
छायांकन कर लो.
तम-उजास को जोड़ सके जो
कहीं बनाया कोई पुल रहा?...
*
तुमने कितने
बाग़ लगाये?
श्रम-सीकर
कब-कहाँ बहाए?
स्नेह-सलिल कब सींचा?
बगिया में आभारी कौन गुल रहा?...
*
स्नेह-साधना करी
'सलिल' कब.
दीन-हीन में
दिखे कभी रब?
चित्रगुप्त की कर्म-तुला पर
खरा कौन सा कर्म तुल रहा?...
*
खाली हाथ?
न रो-पछताओ.
कंकर से
शंकर बन जाओ.
ज़हर पियो, हँस अमृत बाँटो.
देखोगे मन मलिन धुल रहा...
**********************
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बुधवार, 30 दिसंबर 2009
नव वर्ष पर नवगीत: महाकाल के महाग्रंथ का --संजीव 'सलिल'
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12 टिप्पणियां:
नव वर्ष शुभेच्छा |
अवनीश तिवारी
nav varsh ki shubh kamnayen
आप और आपके परिवार के लिए नव वर्ष की शुभ कामनाएं
सादर,
सुधा, ओम, विभु ढींगरा
आ० आचार्य जी,
अति सुन्दर रचना | " शुभ सत चित आनंद है, शुभ नाद लय स्वर छंद है "
सत्य को उजागर करती भाव भरी पंक्ति |
आपकी रचना को नमन |
कमल
Sanjeev ji,
HAPPY NEW YEAR!!
With best wishes
Shanno
I EXPRESS MY SINCERE WISHES FOR A VERY HAPPY AND PROSPEROUS NEW YEAR
2010.
ramji giri
सुन्दर लेखनी है आपकी,बन्धु...
बवाल ने :
कर्म कर्म सब आज तुल रहा।
आदरणीय सलिल जी,
सच में बहुत ही सुन्दर लगा नव वर्ष का नव गीत।
Purnima Varman ✆
बहुत बहुत धन्यवाद सलिल जी, आपकी दो रचनाएँ नव वर्ष विशेषांक में सम्मिलित कर रहे हैं।
आ. आचार्य जी ,
नव-वर्ष का शुभ-मंगलाचरण आपने प्रस्तुत कर दिया है. काल-कथा का समारंभ भी अनुरूप हो ;और हम समस्त-जन ,जो इस काल-खंड के पात्र हैं अपनी भूमिका का सामर्थ्यनुसार समुचित निर्वाह कर सकें ऐसी क्षमता और मनोबल वह परमशक्ति हमें प्रदान करती रहे - यही कामना अंतरमन में उदित हो रही है ।
गुरुजनों का आशीष सदा प्राप्त होता रहे !
सादर ,
प्रतिभा.
naye varsh ka
har nootan din
amal-dhaval yash
keerti vimal de
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada .blogspot. com
आदरणीय आचार्य जी
आपको भी अनेक शुभकामनायें!
सादर
अमित
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