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शुक्रवार, 13 मार्च 2009

holee के रंग नज़ीर अकबराबादी के sang

जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की...

परियों के रंग दमकते हों
खूँ शीशे जाम छलकते हों
महबूब नशे में छकते हों
तब देख बहारें होली की...

नाच रंगीली परियों का
कुछ भीगी तानें होली की
कुछ तबले खड़कें रंग भरे
कुछ घुँघरू ताल छनकते हों
तब देख बहारें होली की...

मुँह लाल गुलाबी आँखें हों
और हाथों में पिचकारी हो
उस रंग भरी पिचकारी को
अंगिया पर तककर मारी हो
सीनों से रंग ढलकते हों
तब देख बहारें होली की...

जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की...

- नज़ीर अकबराबादी

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