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मंगलवार, 17 मार्च 2009

पुस्तक समीक्षा :समयजयी साहित्यशिल्पी भगवतप्रसाद मिश्र 'नियाज़' : व्यक्तित्व-कृतित्व - एक अद्बुत कृति


पुस्तक समीक्षा :
समयजयी साहित्यशिल्पी भगवतप्रसाद मिश्र 'नियाज़' : व्यक्तित्व-कृतित्व - एक अद्बुत कृति

समीक्षक : प्रो. अर्चना श्रीवास्तव,
d 105 shilendra nagar रायपुर
( कृति विवरण : नाम- समयजयी साहित्यशिल्पी भगवतप्रसाद मिश्र 'नियाज़' : व्यक्तित्व-कृतित्व, विधा- समालोचना, संपादक : संजीव 'सलिल', आकार- डिमाई, बहुरंगी सजिल्द आवरण, पृष्ठ ४५५, मूल्य- ५०० रु., प्रकाशक- समन्वय प्रतिष्ठान, २०४ विजय अपार्टमेन्ट, नेपिअर टाऊन, जबलपुर ४८२००१ )
समयजयी साहित्यशिल्पी भगवदप्रसाद मिश्र 'नियाज़' : व्यक्तित्व - कृतित्व एक अद्बुत कृति है जिसमें हिन्दी के इस वरिष्ठतम तथा प्रतिष्ठित साहित्यकार के इन्द्रधनुषी साहित्यिक-शैक्षणिक योगदान का निष्पक्ष मूल्यांकन किया गया है. प्रस्तुत ग्रन्थ को हिन्दी स्वरों के आधार पर अ से अः तक १२ सर्गों में विभक्त किया गया है.
'चित्र-चित्र स्मृतियाँ अनुपम' के अंतर्गत श्री मिश्र की चित्रमय जीवन झांकी ८ शीर्षकों में विभक्त कर संजोई गयी है. 'सांसों का सफर' में ९० वर्षीय चरितनायक का संक्षिप्त शाब्दिक जीवन वृत्त है. 'कुछ अपनी कुछ अपनों की' के २२ आलेख मिश्र जी के स्वजनों-परिजनों, मित्रों, स्नेहियों, वरिष्ठ व समकालिक रचनाकारों द्वारा लिखे गए हैं जिनमें ३ पीढियों की भावांजलियाँ हैं. 'कलकल निनादिनी नर्मदा' शीर्षक अध्याय नियाज़ की कम लम्बी काव्य रचनाओं के संग्रहों तरंगिणी, गीत रश्मि, अजस्रा, व जननी जन्मभूमिश्च पर केंद्रित समालोचनात्मक आलेखों से समृद्ध हुआ है. 'नील नीरनिधि नील नभ' नामक सर्ग में खंड काव्य कारा, दीर्घ कविताओं के संग्रह कस्मै देवाय, दीर्घा, अनुवादित खंड काव्य धाविका का आकलन विद्वदजनों ने किया है. शायर नियाज़ के कलाम को 'भँवरे की गुनगुन' अध्याय में १६ पारखियों ने परखा है. गजल संग्रहों तलाश, आखिरी दौर, खामुशी व अहसास तथा कता संग्रह ज़रा सुनते जाइए को १६ जानकारों ने कसौटी पर कसकर खरा पाया है.
बहुमुखी प्रतिभा के धनि मिश्रजी ने बल साहित्य के सारस्वत कोष को शिशुगीत, चाचा नेहरू, क्या तुम जानते हो? तथा सूक्ति संग्रह नामक कृतियों से नवाजा है. 'डगमग पग धर च्कोओ लें नभ' के अंतर्गत बाल साहित्य निकष पर है. अंग्रेज़ी के प्राध्यापक रहे मिश्रजी अंग्रेज़ी में सृजन न करें यह नामुमकिन है. 'भाव शब्द ले काव्य है' नामक अध्याय में द ब्रोकन मिरर एंड अदर पोयम्स एवं पेटल्स ऑफ़ लव दो संग्रहों की विवेचना की गयी है.
'गोमती से साबरमती तक' शीर्षक अध्याय में मिश्रजी के गद्य साहित्य कथा संग्रह त्रयोदशी व संस्मरण संग्रह अतीत इक झलकियाँ पर विवेचनात्मक आलेख हैं. आदर्श शिक्षक और शिक्षाविद के रूप में मिश्र जी के अवदान को परखा गया है 'सघन तिमिर हर भोर उगायें' शीर्षक सर्ग में.
विश्व वाणी हिन्दी व सम्पर्क भाषा अंग्रेज़ी के मध्य संपर्क सेतु बने मिश्र जी द्वारा ३१ देशों में प्रचलित १८ भाषाओँ के १११ कवियों की कविताओं का हिन्दी काव्यानुवाद किया है. 'विश्व कविता' शीर्षक इस कृति तथा डॉ अम्बाशंकर नगर के काव्य संग्रह 'चाँद चांदनी और कैक्टस' के मिश्र जी कृत अंग्रेज़ी अनुवाद 'मून मूंलित एंड कैक्टस' की समीक्षा 'दिल को दिल से जोड़े भाषा' अध्याय में है.
समीक्षक के रूप में मिश्र जी द्वारा समकालिक साहित्यकारों की कृतियों का सतत मूल्यांकन किया जाता रहा. 'कौन कैसा कसौटी पर' सर्ग में समीक्ष कर्म को परखा गया है.'बात निकलेगी तो फ़िर' में मिश्रजी के दो लम्बे साक्षात्कार हैं जिनमें उनकी रचनाधर्मिता से जुड़े विविध पक्षों पर प्रकाश डाला गया है. अन्तिम पर महत्वपूर्ण अध्याय 'साईं भजे भाव पार हो' में मिश्रजी के आध्यात्मिक-धार्मिक कृतित्व का आकलन है. सुमनांजलि, भक्त संह भगवान, साईं चालीसा, साईं बाबा द इटरनल कम्पेनियन, रिलेशनशिप विथ गोड, मैं हरि पतित पवन सुने, वेद पुरूष वाणी, ॐ साईं बाबा और नर नारायण गुफा आश्रम, साईत्री, ॐ श्री साईश्वर, श्री साईं यंत्र-मन्त्र, आध्यात्मिक अनुभूतियाँ, तथा श्री साईं गीतांजली संकीर्तनम आदि कृतियों पर १६ आलेख इस अध्याय में हैं.
श्री नियाज जी जैसे वरिष्ठ साहित्यकार के ७० वर्षीय बहु आयामी योगदान के लगभग हर पहलू का सम्यक-संतुलित मूल्यांकन कराकर शताधिक शोधपरक आलेखों को एक ही जगह सुव्यवस्थित सुनियोजित करने दे दुष्कर सम्पादकीय कार्य को संजीव सलिल ने निपुणता के साथ करने में सफलता पाई है. शोध छात्रों के लिए अत्यावश्यक ४५५ पृष्ठीय सजिल्द डिमाई आकार की यह कृति केवल ५०० रु. में समन्वय प्रकाशन, २०४ विजय अपार्टमेन्ट, नेपिअर टाऊन, जबलपुर ४८२००१ से प्राप्त की जा सकती है. समकालिक हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर निआजजी के सकल साहित्य कर्म के निष्पक्ष विवेचन का यह श्रेष्ठ प्रयास वाकई अपनी मिसाल आप है.

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