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रविवार, 1 मार्च 2009

ज्ञानार्जन को अंकों के मापदण्ड पर उतारना

परीक्षा
विवेक रंजन श्रीवास्तव
सी ६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र.

परीक्षा जीवन की एक अनिवार्यता है . परीक्षा का स्मरण होते ही याद आती है परीक्षा की शनैः शनैः तैयारी . निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्ययन , फिर परीक्षा में क्या पूछा जायेगा यह कौतुहल , निर्धारित अवधि में हम कितनी अच्छी तरह अपना उत्तर दे पायेंगे यह तनाव . परीक्षा कक्ष से बाहर निकलते ही यदि कुछ समय और मिल जाता या फिर अगर मगर का पछतावा ..और फिर परिणाम घोषित होते तक का आंतरिक तनाव . परिणाम मिल जाने पर भी असंतुष्टि या पुनर्मूल्यांकन की चुनौती ..हम सब इस प्रक्रिया से किंचित परिवर्तन के साथ कभी न कभी कुछ न कुछ मात्रा में तनाव सहते हुये गुजरे ही है . टी वी के रियल्टी शोज में तो इन दिनों प्रतियोगी के सम्मुख लाइव प्रसारण में ही उसे सफल या असफल घोषित करने की परंपरा चल निकली है .. परीक्षा और परिणाम के इस स्वरूप पर प्रतियोगी की दृष्टि से सोचकर देखें .

सामान्यतः परीक्षा लिये जाने के मूल उद्देश्य व दृष्टिकोण को हममें से ज्यादातर लोग सही परिप्रेक्ष्य में समझे बिना ही येन केन प्रकारेण अधिकतम अंक पाना ही परीक्षा का उद्देश्य मान लेते हैं . और इसके लिये अनुचित तौर तरीकों के प्रयोग तक से नही हिचकिचाते . या फिर असफल होने पर आत्महत्या जेसे घातक कदम तक उठा लेते हैं .
प्रश्न है कि क्या परीक्षा में ज्यादा अंक पाने मात्र से जीवन में भी सफलता सुनिश्चित है ? जीवन की अग्नि परीक्षा में न तो पाठ्यक्रम निर्धारित होता है और न ही यह तय होता है कि कब कौन सा प्रश्न हल करना पड़ेगा ? परीक्षा का वास्तविक उद्देश्य मुल्यांकन से ज्ञानार्जन हेतु प्रोत्साहित करना होता है . जीवन में सफल वही होता है जो वास्तविक ज्ञानार्जन करता है न कि अंक मात्र प्राप्त कर लेता है . यह तय है कि जो तन्मयता से ज्ञानार्जन करता है वह परीक्षा में भी अच्छे अंक अवश्य पाता है . अतः जरूड़ी है कि परीक्षा के तनाव में ग्रस्त होने की अपेक्षा शिक्षा व परीक्षा के वास्तविक उद्देश्य को हृदयंगम किया जावे , संपूर्ण पाठ्यक्रम को अपनी समूची बौद्धिकता के साथ गहन अध्ययन किया जावे व तनाव मुक्त रहकर परीक्षा दी जावे . याद रखें कि सफलता कि शार्ट कट नही होते . परीक्षा का उद्देश्य ज्ञानार्जन को अंकों के मापदण्ड पर उतारना मात्र है . ज्ञानार्जन एक तपस्या है . स्वयं पर विश्वास करें . विषय का मनन चिंतन , अध्ययन करें , व श्रेष्ठतम उत्तर लिखें , परिणाम स्वयमेव आपके पक्ष में आयेंगे .
विवेक रंजन श्रीवास्तव

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