कुल पेज दृश्य

रविवार, 29 मार्च 2009

कविता

निशानी

जयसिंह अल्वरी

कल के लिए
हम पास तुम्हारे
कोई निशानी छोडेंगे।
पल-पल तुम
जगाओ-मुस्काओ
दर्द तुम्हारे ओढेंगे।
रहें, न रहें
लेकिन दिल को
दिल से गहरे जोडेंगे।
दिल में दीपक
जले प्यार का
सब दीवारें तोडेंगे।
हर सीने में याद फफकती
आज नहीएँ,
कल छोडेंगे।

*****************

कोई टिप्पणी नहीं: