*
अनंतवाद (Infinitheism) की अंग्रेजी प्रार्थना और उसका भावानुवाद
इन्फ़िनीथीइज़्म के मुताबिक, पारलौकिकता पवित्र है। इसमें ही जीवन मनुष्य की उच्चतर महिमा प्रकट होती है। हमारी कई प्रार्थनाएँ तभी पूरी होती हैं, जब हम इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं। हम स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन व्यायाम नहीं करते। हम समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन काम के लिए पूरी मेहनत नहीं करते। हम खुशी के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन अपने परिपक्व होने तक विकास नहीं करते। हम भगवान के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन अपने आपको शुद्ध नहीं करते। इसलिए अनंतवादी प्रार्थना करते हैं, "मुझे और भी आगे ले जाएँ..." अपने स्रोत तक। अनंतवादियों की इस अभिव्यक्ति का अनिवार्य रूप से अर्थ है, "मैं अपने आप को आपके प्रति समर्पित करता हूँ मेरे प्रभु। मैं अपने जीवन की ज़िम्मेदारी आपके हाथों में सौंप रहा हूँ।
PRAYER
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Feeling Thy Grace!
Feeling Thy Grace!
तेरी कृपा बरसती
Feeling Thy Radiance!
Feeling Thy Radiance!
तेरी आभा करे प्रकाशित।
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Feeling Thy Grace!
Feeling Thy Grace!
तेरी कृपा बरसती
Feeling Thy Radiance!
Feeling Thy Radiance!
तेरी आभा करे प्रकाशित।
Celebrating Your Presence!
Celebrating Your Presence!
तेरा होना ही उत्सव है
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Celebrating Your Presence!
Celebrating Your Presence!
तेरा होना ही उत्सव है।
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Feeling Thy Grace!
Feeling Thy Grace!
तेरी कृपा बरसती
Feeling Thy Radiance!
Feeling Thy Radiance!
तेरी आभा करे प्रकाशित।
Celebrating Your Presence!
Celebrating Your Presence!
तेरा होना ही उत्सव है।
Dancing with You, without You…
Dancing with You, without You…
तुझ बिन तेरे साथ नाचता
Dancing with You, without You…
Dancing with You, without You…
तुझ बिना तेरे साथ नाचता
Celebrating Your Presence!
Celebrating Your Presence!
तेरा होना ही उत्सव है।
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Celebrating Your Presence!
Celebrating Your Presence!
तेरा होना ही उत्सव है
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Feeling Thy Grace!
Feeling Thy Grace!
तेरी कृपा बरसती
Feeling Thy Radiance!
Feeling Thy Radiance!
तेरी आभा करे प्रकाशित।
Dancing with You, without You…
Dancing with You, without You…
तुझ बिन तेरे साथ नाचता
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Feeling Thy Grace!
Feeling Thy Grace!
तेरी कृपा बरसती
Feeling Thy Radiance!
Feeling Thy Radiance!
तेरी आभा करे प्रकाशित।
Celebrating Your Presence!
Celebrating Your Presence!
तेरा होना ही उत्सव है
Dancing with You, without You…
Dancing with You, without You…
तुझ बिन तेरे साथ नाचता
Feeling Thy Presence!
Feeling Thy Presence!
अनुभव होता तेरा होना
Feeling Thy Grace!
Feeling Thy Grace!
तेरी कृपा बरसती
Feeling Thy Radiance!
Feeling Thy Radiance!
तेरी आभा करे प्रकाशित।
*
(मूल अँग्रेजी में प्रेयर की कड़ी : www.infinitheism.com/infiniprayer.html
यह संस्था ध्यान, अध्यात्म आदि से संबन्धित है। मेरा इस संस्था से कोई संबंध नहीं है।)
यह संस्था ध्यान, अध्यात्म आदि से संबन्धित है। मेरा इस संस्था से कोई संबंध नहीं है।)
१८.९.२०२४
***
दोहा सलिला
हिंदी की तस्वीर के, अनगिन उजले पक्ष
जो बोलें वह लिख-पढ़ें, आम लोग, कवि दक्ष
*
हिदी की तस्वीर में, भारत एकाकार
फूट डाल कर राज की, अंग्रेजी आधार
*
हिंदी की तस्वीर में, सरस सार्थक छंद
जितने उतने हैं कहाँ, नित्य रचें कविवृंद
*
हिंदी की तस्वीर या, पूरा भारत देश
हर बोली मिलती गले, है आनंद अशेष
*
हिंदी की तस्वीर में, भरिए अभिनव रंग
उनकी बात न कीजिए, जो खुद ही भदरंग
*
हिंदी की तस्वीर पर अंग्रेजी का फेम
नौकरशाही मढ़ रही, नहीं चाहती क्षेम
*
हिंदी की तस्वीर में, गाँव-शहर हैं एक
संस्कार-साहित्य मिल, मूल्य जी रहे नेक
१८.९.२०१६
***
:अलंकार चर्चा ०९ :
यमक अलंकार
भिन्न अर्थ में शब्द की, हों आवृत्ति अनेक
अलंकार है यमक यह, कहते सुधि सविवेक
पंक्तियों में एक शब्द की एकाधिक आवृत्ति अलग-अलग अर्थों में होने पर यमक अलंकार होता है. यमक अलंकार के अनेक प्रकार होते हैं.
अ. दुहराये गये शब्द के पूर्ण- आधार पर यमक अलंकार के ३ प्रकार १. अभंगपद, २. सभंगपद ३. खंडपद हैं.
आ. दुहराये गये शब्द या शब्दांश के सार्थक या निरर्थक होने के आधार पर यमक अलंकार के ४ भेद १.सार्थक-सार्थक, २. सार्थक-निरर्थक, ३.निरर्थक-सार्थक तथा ४.निरर्थक-निरर्थक होते हैं.
इ. दुहराये गये शब्दों की संख्या अर्थ के आधार पर भी वर्गीकरण किया जा सकता है.
उदाहरण :
१. झलके पद बनजात से, झलके पद बनजात
अहह दई जलजात से, नैननि सें जल जात -राम सहाय
प्रथम पंक्ति में 'झलके' के दो अर्थ 'दिखना' और 'छाला' तथा 'बनजात' के दो अर्थ 'पुष्प' तथा 'वन गमन' हैं. यहाँ अभंगपद यमक अलंकार है.
द्वितीय पंक्ति में 'जलजात' के दो अर्थ 'कमल-पुष्प' और 'अश्रु- पात' हैं. यहाँ सभंग यमक अलंकार है.
२. कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय
या खाये बौराय नर, वा पाये बौराय
कनक = धतूरा, सोना -अभंगपद यमक
३. या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरैहौं
मुरली = बाँसुरी, मुरलीधर = कृष्ण, मुरली की आवृत्ति -खंडपद यमक
अधरान = पर, अधरा न = अधर में नहीं - सभंगपद यमक
४. मूरति मधुर मनोहर देखी
भयेउ विदेह विदेह विसेखी -अभंगपद यमक, तुलसीदास
विदेह = राजा जनक, देह की सुधि भूला हुआ.
५. कुमोदिनी मानस-मोदिनी कहीं
यहाँ 'मोदिनी' का यमक है. पहला मोदिनी 'कुमोदिनी' शब्द का अंश है, दूसरा स्वतंत्र शब्द (अर्थ प्रसन्नता देने वाली) है.
६. विदारता था तरु कोविदार को
यमक हेतु प्रयुक्त 'विदार' शब्दांश आप में अर्थहीन है किन्तु पहले 'विदारता' तथा बाद में 'कोविदार' प्रयुक्त हुआ है.
७. आयो सखी! सावन, विरह सरसावन, लग्यो है बरसावन चहुँ ओर से
पहली बार 'सावन' स्वतंत्र तथा दूसरी और तीसरी बार शब्दांश है.
८. फिर तुम तम में मैं प्रियतम में हो जावें द्रुत अंतर्ध्यान
'तम' पहली बार स्वतंत्र, दूसरी बार शब्दांश.
९. यों परदे की इज्जत परदेशी के हाथ बिकानी थी
'परदे' पहली बार स्वतंत्र, दूसरी बार शब्दांश.
१०. घटना घटना ठीक है, अघट न घटना ठीक
घट-घट चकित लख, घट-जुड़ जाना लीक
११. वाम मार्ग अपना रहे, जो उनसे विधि वाम
वाम हस्त पर वाम दल, 'सलिल' वाम परिणाम
वाम = तांत्रिक पंथ, विपरीत, बाँया हाथ, साम्यवादी, उल्टा
१२. नाग चढ़ा जब नाग पर, नाग उठा फुँफकार
नाग नाग को नागता, नाग न मारे हार
नाग = हाथी, पर्वत, सर्प, बादल, पर्वत, लाँघता, जनजाति
जबलपुर, १८-९-२०१५
***
दोहा सलिला
हिंदी की तस्वीर के, अनगिन उजले पक्ष
जो बोलें वह लिख-पढ़ें, आम लोग, कवि दक्ष
*
हिदी की तस्वीर में, भारत एकाकार
फूट डाल कर राज की, अंग्रेजी आधार
*
हिंदी की तस्वीर में, सरस सार्थक छंद
जितने उतने हैं कहाँ, नित्य रचें कविवृंद
*
हिंदी की तस्वीर या, पूरा भारत देश
हर बोली मिलती गले, है आनंद अशेष
*
हिंदी की तस्वीर में, भरिए अभिनव रंग
उनकी बात न कीजिए, जो खुद ही भदरंग
*
हिंदी की तस्वीर पर अंग्रेजी का फेम
नौकरशाही मढ़ रही, नहीं चाहती क्षेम
*
हिंदी की तस्वीर में, गाँव-शहर हैं एक
संस्कार-साहित्य मिल, मूल्य जी रहे नेक
१८.९.२०१६
***
:अलंकार चर्चा ०९ :
यमक अलंकार
भिन्न अर्थ में शब्द की, हों आवृत्ति अनेक
अलंकार है यमक यह, कहते सुधि सविवेक
पंक्तियों में एक शब्द की एकाधिक आवृत्ति अलग-अलग अर्थों में होने पर यमक अलंकार होता है. यमक अलंकार के अनेक प्रकार होते हैं.
अ. दुहराये गये शब्द के पूर्ण- आधार पर यमक अलंकार के ३ प्रकार १. अभंगपद, २. सभंगपद ३. खंडपद हैं.
आ. दुहराये गये शब्द या शब्दांश के सार्थक या निरर्थक होने के आधार पर यमक अलंकार के ४ भेद १.सार्थक-सार्थक, २. सार्थक-निरर्थक, ३.निरर्थक-सार्थक तथा ४.निरर्थक-निरर्थक होते हैं.
इ. दुहराये गये शब्दों की संख्या अर्थ के आधार पर भी वर्गीकरण किया जा सकता है.
उदाहरण :
१. झलके पद बनजात से, झलके पद बनजात
अहह दई जलजात से, नैननि सें जल जात -राम सहाय
प्रथम पंक्ति में 'झलके' के दो अर्थ 'दिखना' और 'छाला' तथा 'बनजात' के दो अर्थ 'पुष्प' तथा 'वन गमन' हैं. यहाँ अभंगपद यमक अलंकार है.
द्वितीय पंक्ति में 'जलजात' के दो अर्थ 'कमल-पुष्प' और 'अश्रु- पात' हैं. यहाँ सभंग यमक अलंकार है.
२. कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय
या खाये बौराय नर, वा पाये बौराय
कनक = धतूरा, सोना -अभंगपद यमक
३. या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरैहौं
मुरली = बाँसुरी, मुरलीधर = कृष्ण, मुरली की आवृत्ति -खंडपद यमक
अधरान = पर, अधरा न = अधर में नहीं - सभंगपद यमक
४. मूरति मधुर मनोहर देखी
भयेउ विदेह विदेह विसेखी -अभंगपद यमक, तुलसीदास
विदेह = राजा जनक, देह की सुधि भूला हुआ.
५. कुमोदिनी मानस-मोदिनी कहीं
यहाँ 'मोदिनी' का यमक है. पहला मोदिनी 'कुमोदिनी' शब्द का अंश है, दूसरा स्वतंत्र शब्द (अर्थ प्रसन्नता देने वाली) है.
६. विदारता था तरु कोविदार को
यमक हेतु प्रयुक्त 'विदार' शब्दांश आप में अर्थहीन है किन्तु पहले 'विदारता' तथा बाद में 'कोविदार' प्रयुक्त हुआ है.
७. आयो सखी! सावन, विरह सरसावन, लग्यो है बरसावन चहुँ ओर से
पहली बार 'सावन' स्वतंत्र तथा दूसरी और तीसरी बार शब्दांश है.
८. फिर तुम तम में मैं प्रियतम में हो जावें द्रुत अंतर्ध्यान
'तम' पहली बार स्वतंत्र, दूसरी बार शब्दांश.
९. यों परदे की इज्जत परदेशी के हाथ बिकानी थी
'परदे' पहली बार स्वतंत्र, दूसरी बार शब्दांश.
१०. घटना घटना ठीक है, अघट न घटना ठीक
घट-घट चकित लख, घट-जुड़ जाना लीक
११. वाम मार्ग अपना रहे, जो उनसे विधि वाम
वाम हस्त पर वाम दल, 'सलिल' वाम परिणाम
वाम = तांत्रिक पंथ, विपरीत, बाँया हाथ, साम्यवादी, उल्टा
१२. नाग चढ़ा जब नाग पर, नाग उठा फुँफकार
नाग नाग को नागता, नाग न मारे हार
नाग = हाथी, पर्वत, सर्प, बादल, पर्वत, लाँघता, जनजाति
जबलपुर, १८-९-२०१५
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें