सलिल सृजन सितंबर
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शिव भजन
स्मृतिशेष मातुश्री शांति देवी वर्मा
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१ शिवजी की आई बारात
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देखन चलिए, मुदित मन रहिए,
शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए।
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भूत प्रेत बैताल जोगिनी, खप्पर लिए हैं हाथ।
चलो सखी देखन चलिए
शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए।
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कानों में बिच्छू के कुंडल सोहें, कंठ सर्प की माल।
चलो सखी देखन चलिए
शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए।
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अंग बभूत, कमर बाघंबर, नैना हैं लाल विशाल।
चलो सखी देखन चलिए
शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए।
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कर त्रिशूल-डमरू मन मोहे, नंदी करते नाच।
चलो सखी देखन चलिए
शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए।
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कर सिंगार भोला बन दूलह, चंदा सजाए माथ।
चलो सखी देखन चलिए
शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए।
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'शांति' सफल जीवन कर दर्शन, करिए जय-जयकार।
चलो सखी देखन चलिए
शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए।
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२ गिरिजा कर सोलह सिंगार
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गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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माँग में सेंदुर; भाल पे बिंदी, नैनन कजरा सजाय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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बेनी गूँथी मुतियन के संग; चंपा-चमेली महकाय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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बांह बाजूबंद हाथ में कंगन, नौलखा कंठ सुहाय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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कानन झुमका; नाक नथनिया, बेसर हीरा भाय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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कटि करधनिया; पाँव पैजनिया, घुँघुरु रतन जड़ाय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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बिछिया में मणि; मुंदरी नीलम, चलीं ठुमुक बल खाँय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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लहँगा लाल; चुनरिया नीली गोटा-जरी लगाय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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ओढ़ चदरिया सात रंग की, शोभा बरनि न जाय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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गजगामिन हौले पग धरतीं, मन ही मन मुस्कांय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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नत नयनों; बंकिम सैनों से, अनकहनी कँह जांय।
गिरिजा कर सोलह सिंगार,
चलीं शिव शंकर ह्रदय लुभांय.....
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३ मोहक छटा पारवती-शिव की
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मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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ऊँचो तेरहो-मेढ़ो कैलाश परवत, बीच मां बहे गंग धार।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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शीश पे उमा के मुकुट सुहावे, भोले के जूट-रुद्राक्ष।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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माथे पे गौरी के सिंदूर बिंदिया, शंकर के भस्मी राख।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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सती के कानों में हीरक कुंडल, त्रिपुरारी के बिच्छू कान।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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कंठ शिवा के नौलख हरवा, नीलकंठ के नाग।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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हाथ अपर्णा के मुक्तक कंगन, डमरू साथ।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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कुँवरि बदन केसर-कस्तूरी, महादेव तन राख।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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पहने भवानी नौ रंग चूनर, भोले बाघ की खाल।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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दुर्गा रचतीं सकल सृष्टि को, महानाशक महाकाल।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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भुवन मोहनी महामाया हैं, औघड़दानी हैं नाथ ।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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'शांति' सार्थक जन्म दरस पा, सदय शिवा-शिव साथ।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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४ भोले घर बाजे बधाई
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मंगल बेला आई,
भोले घर बाजे बधाई.....
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गौरा मैया ने लालन जनमे, गणपति नाम धराई।
भोले घर बाजे बधाई.....
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द्वारे बंदनवार बँधे हैं, कदली खंब लगाई।
भोले घर बाजे बधाई.....
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हरे-हरे गोबर इन्द्राणी आँगन लीपें, मुतियन चौक पुराई।
भोले घर बाजे बधाई.....
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स्वर्ण कलश ब्रह्माणी लिए हैं, चौमुख दिया जलाई।
भोले घर बाजे बधाई.....
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लछमी जी पलना पौढ़ाएँ, झूलें गणेश सुखदाई।
भोले घर बाजे बधाई.....
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नृत्य करें नटराज झूमकर, नारद वीणा बजाई।
भोले घर बाजे बधाई.....
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देव-देवियाँ सोहर गावें, खुशियां त्रिभुवन छाईं।
भोले घर बाजे बधाई.....
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भले बाबा जोगी बैरागी, उमा लालन कहाँ से लाईं।
भोले घर बाजे बधाई.....
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सखियाँ सब मिल करें ठिठोली, उमा झेंप खिसियाईं।
भोले घर बाजे बधाई.....
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झूम हिमालय हवन कर रहे, मैना देव मनाईं।
भोले घर बाजे बधाई.....
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'शांति' गजानन दर्शन कर ले, सबरे पाप नसाई ।
भोले घर बाजे बधाई.....
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५ धूमधाम भोले के गाँव
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धूमधाम भोले के गाँव,
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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कौन दिशा में?, कैसे जावें?, किते बसो भोले का गाँव ?
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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उत्तर दिशा में कैलाश परवत, बर्फ बीच भोले का गाँव।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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कौन के लालन किते भए हैं?, का है पिता को नाम?
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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गौरा के सखी लालन भए हैं, शंकर पिता को नाम।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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किते डालो लालन को पलना, बँधी काए की डोर ।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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कल्प वृक्ष पे झूला डालो है, अमरबेल की है डोर ।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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कौन झुला कौन लोरी सुना रए?, कौन बलैंंया लेत?
चलो पाँव-पाँव सखी!
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शंकर झुला उमा लोरी सुनाएँ, नंदी बलैंया लेत।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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कौन नाच रए झूम-झूम के, कहो पहिर मुंड माल?
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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भूत पिशाच जोगिनी नाचें, पहिरे गले मुंड माल।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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कौन चाह रए दर्शन पाएँ, कौन बाँच रए भाग?
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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ब्रह्मा-शारद; विष्णु लक्ष्मी, बाँच नें पाएँ भाग।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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कौन कर्म-फल लिखे भाग में, किनकी कृपा अपार?
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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लिखे कर्म फल चित्रगुप्त प्रभु, रिद्धि-सिद्धि मिले अपार।
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
धूमधाम भोले के गाँव,
चलो पाँव-पाँव सखी!.....
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