चंद मुक्तक
संजीव 'सलिल'
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कलम
तलवार से ज्यादा, कहा सच वार करती है.
तलवार से ज्यादा, कहा सच वार करती है.
जुबां नारी की लेकिन सबसे
ज्यादा धार धरती है.
ज्यादा धार धरती है.
महाभारत कराया द्रौपदी के व्यंग बाणों ने-
नयन
के तीर छेदें तो न दिल की हार खलती है..
के तीर छेदें तो न दिल की हार खलती है..
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कलम नीलाम होती रोज
ही अखबार में देखो.
ही अखबार में देखो.
खबर बेची-खरीदी जा रही बाज़ार में लेखो.
न
माखनलाल जी ही हैं, नहीं विद्यार्थी जी हैं-
माखनलाल जी ही हैं, नहीं विद्यार्थी जी हैं-
रखे अख़बार सब गिरवी
स्वयं सरकार ने देखो.
स्वयं सरकार ने देखो.
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