मुक्तिका
*
बाँचते सपने कथाएँ
विगत को कैसे भुलाएँ?
*
कहे आगत चूकना मत
जो मिले अवसर भुनाएँ
*
बात मुँह देखी करें सब
क्या सही सच कब बताएँ?
*
हमसफर-हमकदम हैं तो
श्वास-श्वासों में घुलाएँ
*
चाह निजता की विषैली
पाल दूरी मत बढ़ाएँ
*
आप बेगम क्यों न बे-गम
ख़ुशी को हमदम बनाएँ
*
धूप-छाँवी ज़िंदगी है
स्नेह-सलिला नित नहाएँ
***
[मानव जातीय छन्द]
२४-४-२०१६
सी २५६ आवास-विकास हरदोई
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बाँचते सपने कथाएँ
विगत को कैसे भुलाएँ?
*
कहे आगत चूकना मत
जो मिले अवसर भुनाएँ
*
बात मुँह देखी करें सब
क्या सही सच कब बताएँ?
*
हमसफर-हमकदम हैं तो
श्वास-श्वासों में घुलाएँ
*
चाह निजता की विषैली
पाल दूरी मत बढ़ाएँ
*
आप बेगम क्यों न बे-गम
ख़ुशी को हमदम बनाएँ
*
धूप-छाँवी ज़िंदगी है
स्नेह-सलिला नित नहाएँ
***
[मानव जातीय छन्द]
२४-४-२०१६
सी २५६ आवास-विकास हरदोई
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