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बुधवार, 3 अप्रैल 2019

दोहा यमक, श्लेष, अनुप्रास

दोहा में अलंकार
खास-ख़ास बतला रहे, आया आम चुनाव।
ताव-भाव मत माँगते, मत दें भूख-अभाव।।
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मिला भाग से भाग, गुणा-भाग कर भाग मत।
ले जो भाग सुभाग, उससे दूर न भागता।।
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भाग = किस्मत, हिस्सा, हिसाब-किताब, दूर जाना, भाग लेना, सौभाग्य, अलग होता।
संवस, ३-४-२०१९
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छंद सोरठा
अलंकार यमक
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आ समान जयघोष, आसमान तक गुँजाया
आस मान संतोष, आ समा न कह कराया 
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छंद सोरठा
अलंकार श्लेष
सूरज-नेता रोज, ऊँचाई पा तपाते
झुलस रहे हैं लोग, कर पूजा सर झुकाते
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छंद दोहा
अलंकार वृत्यानुप्रास
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अजर अमर अक्षर अजित, अविनाशी अमिताभ।
अचल अटल असुरारि अज, अलख अजल अजिताभ।।
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अजय अभय अविकल अतुल, अविचल अतल असार।
अचर अनल अवसर अगम, अक्षु असर अबरार।।
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संवस
१.४.२०१९
एक दोहा
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सुन पढ़ सीख समझ जिसे, लिखा साल-दर साल।
एक निमिष में पढ़ लिया?, सचमुच किया कमाल।।
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संवस
७९९९५५९६१८

 

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