प्रथम नवगीत २०१५
.
हे साल नये!
मेहनत के रच दे गान नये
.
सूरज ऊगे
सब तम पीकर खुद ही डूबे
शाम हँसे, हो
गगन सुनहरा, शशि ऊगे
भूचाल नये
थक-हार विफल तूफ़ान नये
.
सामर्थ्य परख
बाधा-मुश्किल वरदान बने
न्यूनता दूर कर
दृष्टि उठे या भृकुटि तने
वाचाल न हो
पुरुषार्थ गढ़े प्रतिमान नये
.
कंकर शंकर
प्रलयंकर, बन नटराज नचे
अमृत दे सबको
पल में सारा ज़हर पचे
आँसू पोंछे
दस दिश गुंजित हों गान नये
.
१-१-२०१५, ०१.१०
.
हे साल नये!
मेहनत के रच दे गान नये
.
सूरज ऊगे
सब तम पीकर खुद ही डूबे
शाम हँसे, हो
गगन सुनहरा, शशि ऊगे
भूचाल नये
थक-हार विफल तूफ़ान नये
.
सामर्थ्य परख
बाधा-मुश्किल वरदान बने
न्यूनता दूर कर
दृष्टि उठे या भृकुटि तने
वाचाल न हो
पुरुषार्थ गढ़े प्रतिमान नये
.
कंकर शंकर
प्रलयंकर, बन नटराज नचे
अमृत दे सबको
पल में सारा ज़हर पचे
आँसू पोंछे
दस दिश गुंजित हों गान नये
.
१-१-२०१५, ०१.१०
5 टिप्पणियां:
Chandresh Chhatlani
chandresh.chhatlani@gmail.com
JRN Rajasthan Vidyapeeth University
बहुत ही प्यारा नवगीत सर ||
Kailash Sharma
बहुत सुन्दर रचनाएँ...नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनायें!
Anant Alok
anantalok1@gmail.com
हिमाचल सरकार
बहुत शुक्रिया आदरणीय , आपको भी नूतन वर्ष की अनंत मंगल कामनाएं
Jakhmola,R.C. Dr.
ramesh_jakhmola@yahoo.co.in
Dear Sir,
Thanks. We reciprocate. May lord bless you all good things in years to come. Happy new year.
Ramesh
Dr Ramesh C. Jakhmola
14 A, Devlok Phase 2
Sevelan Kalan
Shimla Bypass
Dehradun 248171
Uttarakhand
INDIA
Santosh Bhauwala santosh.bhauwala@gmail.com
आदरणीय संजीव जी ,नए साल की खूबसूरत रचना ,बधाई
संतोष भाऊवाला
एक टिप्पणी भेजें