दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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सोमवार, 24 नवंबर 2014
muktak:
मुक्तक : लालच बढ़ी?, बुढ़ाये हो तुम अब भी व्यर्थ चढ़ाये हो तुम फॉल चढ़ाने आये दुनिया निज तस्वीर मढ़ाये हो तुम?? *
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