कालजयी गीत :
देखती ही रहो आज दर्पण न तुम
नीरज

देखती ही रहो आज दर्पण न तुम
प्यार का ये महुरत निकल जायेगा, निकल जयेगा
साँस की तो बहुत तेज़ रफ़्तार है
और छोटी बहुत है मिलन की घड़ी
गूँधते गूँधते ये घटा साँवरी
बुझ न जाये कहीं रूप की फुलझड़ी
चूड़ियाँ ही न तुम (संगीत)
चूड़ियाँ ही न तुम खनखनाती रहो
ये शरमशार मौसम बदल जायेगा, बदल जायेगा..
सुर्ख होंठों पे उफ़ ये हँसी मदभरी
जैसे शबनम अँगारों की मेहमान हो
जादू बुनती हुई ये नशीली नज़र
देख ले तो ख़ुदाई परेशान हो
मुस्कुरावो न ऐसे (संगीत)
मुस्कुरावो न ऐसे चुराकर नज़र
आइना देख सूरत मचल जायेगा, मचल जायेगा..
चाल ऐसी है मदहोश मस्ती भरी
नीन्द सूरज सितारों को आने लगी
इतने नाज़ुक क़दम चूम पाये अगर
सोते सोते बियाबान गने लगे
मत महावर रचाओ (संगीत)
मत महावर रचाओ बहुत पाँव में
फ़र्श का मरमरी दिल बहल जायेगा, बहल जायेगा
चलचित्र: नयी उमर की नयी फ़सल, १९६५
गायक: मुकेश, संगीत: रौशन
देखती ही रहो आज दर्पण न तुम
नीरज

देखती ही रहो आज दर्पण न तुम
प्यार का ये महुरत निकल जायेगा, निकल जयेगा
साँस की तो बहुत तेज़ रफ़्तार है
और छोटी बहुत है मिलन की घड़ी
गूँधते गूँधते ये घटा साँवरी
बुझ न जाये कहीं रूप की फुलझड़ी
चूड़ियाँ ही न तुम (संगीत)
चूड़ियाँ ही न तुम खनखनाती रहो
ये शरमशार मौसम बदल जायेगा, बदल जायेगा..
सुर्ख होंठों पे उफ़ ये हँसी मदभरी
जैसे शबनम अँगारों की मेहमान हो
जादू बुनती हुई ये नशीली नज़र
देख ले तो ख़ुदाई परेशान हो
मुस्कुरावो न ऐसे (संगीत)
मुस्कुरावो न ऐसे चुराकर नज़र
आइना देख सूरत मचल जायेगा, मचल जायेगा..
चाल ऐसी है मदहोश मस्ती भरी
नीन्द सूरज सितारों को आने लगी
इतने नाज़ुक क़दम चूम पाये अगर
सोते सोते बियाबान गने लगे
मत महावर रचाओ (संगीत)
मत महावर रचाओ बहुत पाँव में
फ़र्श का मरमरी दिल बहल जायेगा, बहल जायेगा
चलचित्र: नयी उमर की नयी फ़सल, १९६५
गायक: मुकेश, संगीत: रौशन
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