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गुरुवार, 28 मई 2009

ॐ वन्दना: स्व. शान्ति देवी वर्मा

bhajan / vidayee-geet

चलीं जानकी प्यारी

चलीं जानकी प्यारी, सूना भया जनकपुर आज...

रोएँ अंक भर मातु सुनयना, पिता जनक बेहाल.

सूना भया जनकपुर आज...

सखी-सहेली फ़िर-फ़िर भेंटें, रखना हमको याद.

सूना भया जनकपुर आज...

शुक-सारिका न खाते-पीते, ले चलो हमको साथ.

सूना भया जनकपुर आज...

चारों सुताओं से कहें जनक, रखना दोउ कुल की लाज.

सूना भया जनकपुर आज...

कहें सुनयना भये आज से, ससुर-सास पितु-मात.

सूना भया जनकपुर आज...

गुरु बोलें: सबका मन जीतो, यही एक है पाठ.

सूना भया जनकपुर आज...

नगरनिवासी खाएं पछाडें, काहे बना रिवाज.

सूना भया जनकपुर आज...

जनक कहें दशरथ से 'करिए क्षमा सकल अपराध.

सूना भया जनकपुर आज...

दशरथ कहें-हैं आँख पुतरिया, रखिहों प्राण समान.

सूना भया जनकपुर आज...


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4 टिप्‍पणियां:

Urmi ने कहा…

आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने और उसके साथ सुंदर चित्र कमाल का है! लिखते रहिये!

सोनल, बंगलुरु ने कहा…

मर्म-स्पर्शी बिदाई गीत. अब कहाँ सुनने को मिलते है ऐसे मधुर और करुण गीत.

M.M.Chatterji ने कहा…

heart touching and melodius.

ग्रुप कैप्टेन विजय कौशल, पुरुलिया बंगाल ने कहा…

भक्ति और मनोरंजन साथ-साथ...दुहरा लाभ...