कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 4 मई 2021

मुक्तक

मुक्तक
*
आज प्रियदर्शी बना है अम्बर,
शिव लपेटे हैं नाग- बाघम्बर।
नेह की भेंट आप लाई हैं-
चुप उमा छोड़ सकल आडम्बर।।
*
बाग़ पुष्पा है, महकती क्यारी,
गंध में गंध घुल रही न्यारी।
मन्त्र पढ़ते हैं भ्रमर पंडित जी-

तितलियाँ ला रही हैं अग्यारी।।
*
जो मिला उससे है संतोष नहीं
छोड़ता है कुबेर कोष नहीं
नाग पी दूध ज़हर देता है
यही फितरत है, कहीं दोष नहीं
*
बोल जब भी जबान से निकले
पान ज्यों पानदान से निकले
कान में घोल दे गुलकंद 'सलिल
ज्यों उजाला विहान से निकले
*

४-५-२०१८ 

कोई टिप्पणी नहीं: