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भारती की आरती, सूरज उतारे धन्य हो.
मंजु भारत भूमि से, ज्यादा न ज्यादा अन्य हो..
पा विजय कर जोड़ सीताराम बोलें हो अचल.
हर्ष-दुःख दोनों में होते 'सलिल' के नयना सजल..
२४-५-२०१२
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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