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शुक्रवार, 21 मई 2021

मुक्तिका

मुक्तिका
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शब्द पानी हो गए
हो कहानी खो गए
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आपसे जिस पल मिले
रातरानी हो गए
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अश्रु आ रूमाल में
प्रिय निशानी हो गए
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लाल चूनर ओढ़कर
क्या भवानी हो गए?
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नाम के नाते सभी
अब जबानी हो गए
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गाँव खुद बेमौत मर
राजधानी हो गए
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हुए जुमले, वायदे
पानी पानी हो गए
...
२१-५-२०१७

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