कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 11 जून 2020

कुण्डलिया

कुण्डलिया 
नारी पर नर मर मिटे, है जीवन का सत्य
मरता हो तो जी उठा, यह भी नहीं असत्य
यह भी नहीं असत्य, जान पर जान लुटाता
जान जान को सात जन्म तक जान न पाता
कहे सलिल कविराय, मानिये माया आरी
छाया दे या धूप, नरों पर भारी नारी  

***

कोई टिप्पणी नहीं: