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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

मुक्तिका

मुक्तिका
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इसने मारा, उसने मारा
इंसानों को सबने मारा
हैवानों की है पौ बारा
शैतानों का जै-जैकारा
सरकारों नें आँखें मूँदीं
टी वी ने मारा चटखारा
नफरत द्वेष घृणा का फोड़ा
नेताओं ने मिल गुब्बारा
आम आदमी है मुश्किल में
खासों ने खुद को उपकारा
भाषणबाजों लानत तुम पर
भारत माता ने धिक्कारा
हाथ मिलाओ, गले लगाओ
अब न बहाओ आँसू खारा
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संजीव
२८-२-२०२०

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