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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

नवगीत

नवगीत
*
चिरैया! आ, चहचहा
*
द्वार सूना टेरता है।
राह तोता हेरता है।
बाज कपटी ताक नभ से-
डाल फंदा घेरता है।
सँभलकर चल लगा पाए,
ना जमाना कहकहा।
चिरैया! आ, चहचहा
*
चिरैया माँ की निशानी
चिरैया माँ की कहानी
कह रही बदले समय में
चिरैया कर निगहबानी
मनो रमा है मन हमेशा
याद सिरहाने तहा
चिरैया! आ चहचहा
*
तौल री पर हारना मत।
हौसलों को मारना मत।
मत ठिठकना, मत बहकना-
ख्वाब अपने गाड़ना मत।
ज्योत्सना सँग महमहा
चिरैया! आ, चहचहा
*
संजीव
९४२४१८३२४४

   

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