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सोमवार, 18 जून 2018

गीत,तेरा-मेरा???

एक रचना
तेरा-मेरा???
*
क्या तेरा?
क्या मेरा? साधो!
क्या तेरा?
क्या मेरा? रे!....
*
ताना-बाना कौन बुन रहा?
कहो कपास उगाता कौन?
सूत-कपास न लट्ठम-लट्ठा,
क्यों करते हम, रहें न मौन?
किसका फेरा?
किसका डेरा?
किसका साँझ-सवेरा रे!.... 
*
आना-जाना, जाना-आना
मिले सफर में जो; बेगाना। 
किसका अब तक रहा?, रहेगा 
किसका हरदम ठौर-ठिकाना?
जिसने हेरा,
जिसने टेरा
उसका ही पग-फेरा रे!.... 
*
कालकूट या अमिय; मिले जो 
अँजुरी में ले; हँसकर पी। 
जीते-जीते मर मत जाना,
मरते-मरते जीकर जी। 
लाँघो घेरा,
लगे न फेरा
लूट, न लुटा बसेरा रे!.... 
***
१८.६.२०१८, ७९९९५५९६१८, 
salil.sanjiv@gmail.com

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