पानी तो अनमोल है, मत कह तू बेमोल।
कंठ सूखते ही तुझे, पता लगेगा मोल।।
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वर्षा-जल संग्रहण कर, बुझे ग्रीष्म में प्यास।
बहा निरर्थक क्यों सहो, रे मानव संत्रास।।
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सलिल' नीर जल अंबु बिन, कैसे हो आनंद।
कलकल ध्वनि बिन कल कहाँ, कैसे गूँज छंद।।
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लहर-लहर हँस हहरकर, बन-मिट दे संदेश।
पाया-खोया भूलकर, चिंता मत कर लेश।।
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पानी मरे न अाँख का, रखिए गरदन ध्यान।
सूखे पानी अाँख का, यदि कर तुरत निदान।।
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10.6.2018, 7999559618
http://divyanarmada.blogspot.in/
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