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गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

chhand-bahar

छंद बहर का मूल है: १
छंद परिचय:
दस मात्रिक दैशिक जातीय भव छंद।
षडवार्णिक गायत्री जातीय सोमराजी छंद।
संरचना: ISS ISS,
सूत्र: यगण यगण, यय।
बहर: फ़ऊलुं फ़ऊलुं ।
*
कहेगा-कहेगा
सुनेगा-सुनेगा।
हमारा-तुम्हारा
फ़साना जमाना।
          मिलेंगे-खिलेंगे
          चलेंगे-बढ़ेंगे।
          गिरेंगे-उठेंगे
          बनेंगे निशाना।
न रोके रुकेंगे
न टोंके झुकेंगे।
कभी ना चुकेंगे
हमें लक्ष्य पाना।
          नदी हो बहेंगे
          न पीड़ा तहेंगे।
          ख़ुशी से रहेंगे
          सुनाएँ तराना।  
नहीं हार मानें
नहीं रार ठानें।
नहीं भूल जाएँ
वफायें निभाना।
***

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