एक कुंडली:
संजीव
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संजीव
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कुसुम बिना उद्यान हो, गंधहीन बेरंग
काँटों को भाता नहीं, 'सलिल' कुसुम का संग
'सलिल' कुसुम का संग, कृष्ण आनंद मनाये
जन्म-अष्टमी का आनंद, दुगना हो जाये
गरिमा जितनी अधिक नम्र उतने ही हो तुम
देता है सन्देश बाग़ में खिला हर कुसुम*
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