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रविवार, 1 सितंबर 2013

चित्रगुप्त रहस्य:
संजीव 'सलिल'
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''चित्रगुप्त प्रणम्यादौ वात्मानाम सर्व देहिनाम....'' चित्रगुप्त को प्रणाम जो सर्व देहधारियों में आत्मा के रूप में स्थित हैं.

''काया स्थितः सः कायस्थः'' किसी काया में स्थित होने पर वह (सकल सृष्टि का रचनाकार निराकार परात्पर परमब्रम्ह परमात्मा) कायस्थ कहा जाता है.


उसका चित्र या आकार नहीं होता वह जिस काया (देह) का निर्माण तथा चयन करता है उसके अनुरुप आकार या चित्र हो जाता है. काया से उस(आत्मा = परमात्मा का अंश) के निकलते ही काया को 'मिट्टी' कहा जाता है. 


काया से परे जाकर (समाधि या देहावसान के पश्चात्) ही सभी कायाओं के स्वामी से साक्षात् होता है. वही सकल कायाधारियों का कर्म देवता है. व्यवहार जगत में जो इस रहस्य को जानते और मानते हैं वे कायस्थ कहे जाते हैं. 
 कायस्थ विश्व मानवतावाद के पोषक और पालक हैं.  वे हर धर्म, हर पंथ, हर सम्प्रदाय के आस्था रखते हैं.  यही
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राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद


(कायस्थ सभाओं / संस्थाओं / मंदिरों / धर्मशालाओं / शिक्षा संस्थाओं / पत्र पत्रिकाओं का परिसंघ )
: कार्यालय :
राष्ट्रीय अध्यक्ष: जे. ऍफ़. १/७१, ब्लोक ६, मार्ग १० राजेन्द्र नगर पटना ८०००१६ बिहार
वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: २०४ , विजय अपार्टमेन्ट, नेपियर टाउन, जबलपुर, ४८२००१ मध्य प्रदेश
महामंत्री: २०९-२१० आयकर कॉलोनी, विनायकपुर, कानपुर २०८०२५ उत्तर प्रदेश

प्रति:
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जयपुर दिनांक 28-10-2012। राष्ट्रीय चित्रगुप्त महापरिषद की केन्द्रीय कार्यकारिणी बैठक  राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री त्रिलोकी प्रसाद वर्मा मुजफ्फरपुर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में 6 राज्यों से पधारे 35 पदाधिकारी प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। महामंत्री चित्रांश डॉ. यू. सी. श्रीवास्तव कानपूर ने बैठक का सञ्चालन करते हुए सनातनधर्मियों के हितों पर कुठाराघात करने और अन्य धर्मावलम्बियों की हित रक्षा की नीति की आलोचना की। समग्र क्रांति आन्दोलन में जे.पी. के अनुयायी रहे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुमार अनुपम ने बिहार में कायस्थ नव जागरण आन्दोलन की चर्चा की। राजस्थान प्रदेश के संयोजक श्री सचिन खरे तथा उपाध्यक्ष अरुण माथुर ने जातिवादी व्यवस्था को समाज के लिए घातक निरूपित किया। दुर्ग छतीसगढ़ से पधारे राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अरुण श्रीवास्तव 'विनीत' ने वर्तमान दलीय राजनैतिक प्रणाली से उत्पन्न भ्रष्टाचार को घातक बताया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश श्री कमलकांत वर्मा ने अन्ना हजारे तथा केजरीवाल के आंदोलनों में समाज के समर्थन के प्रति आभार व्यक्त किया।

राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष चित्रांश संजीव वर्मा 'सलिल' जबलपुर ने देव चित्रगुप्त तथा कायस्थ धर्म की व्याख्या वैदिक-पौराणिक प्रसंगों द्वारा करते हुए निम्न प्रस्ताव प्रस्तुत किये जो सर्व सम्मति से पारित किये गए।

सामाजिक प्रस्ताव:

1. निराकार परात्पर परब्रम्ह अंश रूप में कायाओं में व्यापकर कायस्थ होते हैं। ऐसे सभी व्यक्ति जो इस सत्य को जानते और मानते हैं कायस्थ महावंश के अंग हैं। वर्ण, जाति, धर्म, पंथ, भाषा, भूषा, क्षेत्र या अन्य किसी भी आधार पर उनमें भेद स्वीकार्य नहीं हैं। महापरिषद में अहिन्दीभाषी सदस्य व पदाधिकारी बनाये जाएँ।

2. अन्य किसी भी पंथ / धर्म / मत के अनुयायी उक्त सूत्र को स्वीकार कर जड़-चेतन के प्रति समता-समानता-सद्भाव भाव धारणकर सनातन धर्म के कायस्थ महावंश में सम्मिलित हो सकते हैं। इस हेतु उन्हें निर्धारित प्रक्रिया का पालनकर अपने आचार-विचार को संयमित रखने, अन्य जनों की स्वतंत्रता की रक्षा करने तथा सबसे समतापरक व्यवहार करने का वचनपत्र देना होगा।

3. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तथा लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन संबंधी नस्तियां एवं कागजात सार्वजनिक किये जाएँ। नेताजी  का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाए अथवा उनके अज्ञातवास की खोज की जाए तथा जिलाधिकारी फैजाबाद के नाजरात में रखे गुमनामी बाबा के सामान की जाँचकर सूची सार्वजानिक की जाए।

4. सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ़ शंखनाद करते हुई कायस्थ समाज हर क्षेत्र में स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों का समर्थन तथा मलिन छवि के उमीदवारों का सक्रिय विरोध करेगा।

राजनैतिक प्रस्ताव:

5. केन्द्रीय मंत्रिमंडल से एक मात्र कायस्थमंत्री को उनके विरुद्ध गंभीर आरोप न होते हुए हटाने तथा गंभीर आरोपों से घिरे मंत्रियों को बनाये रखने का विरोध करते हुए कोंग्रेस अध्यक्ष को लिखा जाए।

6. आरक्षण समाप्त किया जाए तथा सभी को योग्यतानुसार समान अवसर प्राप्ति सुनिश्चित की जाए अथवा सवर्णों के लिए आरक्षण सुनिश्चित कर कायस्थ, ब्राम्हण, क्षत्रिय तथा वैश्य को समान प्रतिशत दिया जाए।

7. आगामी चुनावों को देखते हुए चुनाव क्षेत्रवार कायस्थ मतदाता संख्या, उपयुक्त उम्मीदवार तथा समर्थित उम्मीदवार का चयन किया जाए। टिकिट प्राप्ति पश्चात् सामाजिक समीकरणों का विवेचन कर नीति निर्धारण हेतु समिति का निर्माण किया जाए।

धार्मिक प्रस्ताव:

8. श्री चित्रगुप्त मंदिर उज्जैन, खजुराहो, अयोध्या, पटना तथा कांची के उन्नयन हेतु विशेष योजना बनाई जाए। डाक टिकिट जारी किया जाए।

9. समकालिक कायस्थ महर्षियों महर्षि महेश योगी, सत्य साईं बाबा तथा सहजयोग प्रवर्तिका निर्मला देवी श्रीवास्तव पर डाक टिकिट जारी किया जाए।

10. सनातन धर्मियों हेतु निर्धारित 16 संस्कारों की सामयिकता पर विचार के समय तथा प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण किया जाए।

11. विक्रम संवत अनुसार वर्ष भर के तीज-त्योहारों के औचित्य,  पूजन-विधान आदि का निर्धारण कर पत्रक जारी किया जाए ताकि युवा पीढ़ी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा से अवगत हो सके।

12. कायस्थों तथा श्री चित्रगुप्त के उद्भव एवम योगदान पर शोधकर प्रामाणिक सामग्री प्रकाशित की जाए।

अन्य:

14. गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे कायस्थों का सर्वेक्षण कर उन्हें आय वृद्धि के साधन तथा अवसर प्रदान किये जाएँ।

14. निर्धन छात्रों को अध्ययन हेतु शिक्षण शुल्क तथा पुस्तकें प्रदान करने हेतु समर्थ कायस्थ जनों से संपर्क कर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।

15. विधवा / विधुर विवाह, कन्या भ्रूण संरक्षण / बाल विवाह निषेध, कन्या-शिक्षा, पुत्र-पुत्री समानता, पौधारोपण, जल संरक्षण, पर्यावरण शुद्धिकरण, खुले स्थान पर शौच-निषेध, पुस्तकालय / वाचनालय स्थापना आदि कार्यक्रम इकाई  स्तर पर अपनाएं जाएं।

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