क़ानून
क़ानून को
आम आदमी तोड़े तो बदमाश
निर्बल तोड़े तो शैतान
असहाय तोड़े तो गुंडा
समर्थ या नेता तोड़े तो निर्दोष
और अभिनेता तोड़े तो
सहानुभूति का पात्र.
कंधा
आँसू को कंधा देकर
क्या मुझको मरना है
नेह नर्मदा सम आँसू में
पुलक सपरना है
मैं-तुम आँसू की गंगा में
हुलस नहाएँगे
एक-दूसरे की आँखों में
जन्नत पाएँगे
&&&&&&&&
salil.sanjiv@gmail.com
divyanarmada.blogspot.in
क़ानून को
आम आदमी तोड़े तो बदमाश
निर्बल तोड़े तो शैतान
असहाय तोड़े तो गुंडा
समर्थ या नेता तोड़े तो निर्दोष
और अभिनेता तोड़े तो
सहानुभूति का पात्र.
कंधा
आँसू को कंधा देकर
क्या मुझको मरना है
नेह नर्मदा सम आँसू में
पुलक सपरना है
मैं-तुम आँसू की गंगा में
हुलस नहाएँगे
एक-दूसरे की आँखों में
जन्नत पाएँगे
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