मुक्तिका:
तनहा-तनहा
संजीव 'सलिल'
*
हम अभिमानी तनहा-तनहा।
वे बेमानी तनहा-तनहा।।
कम शिक्षित पर समझदार है
अकल सयानी तनहा-तनहा।।
दाना होकर भी करती मति
नित नादानी तनहा-तनहा।।
जीते जी ही करी मौत की
हँस अगवानी तनहा-तनहा।।
ईमां पर बेईमानी की-
नव निगरानी तनहा-तनहा।।
खीर-प्रथा बघराकर नववधु
चुप मुस्कानी तनहा-तनहा।।
उषा लुभानी सांझ सुहानी,
निशा न भानी तनहा-तनहा।।
सुरा-सुन्दरी का याचक जग
भांग-भवानी तनहा-तनहा।।
'सलिल' संजोये प्यास-आस पर
श्वास भुलानी तनहा-तनहा।।
***
तनहा-तनहा
संजीव 'सलिल'
*
हम अभिमानी तनहा-तनहा।
वे बेमानी तनहा-तनहा।।
कम शिक्षित पर समझदार है
अकल सयानी तनहा-तनहा।।
दाना होकर भी करती मति
नित नादानी तनहा-तनहा।।
जीते जी ही करी मौत की
हँस अगवानी तनहा-तनहा।।
ईमां पर बेईमानी की-
नव निगरानी तनहा-तनहा।।
खीर-प्रथा बघराकर नववधु
चुप मुस्कानी तनहा-तनहा।।
उषा लुभानी सांझ सुहानी,
निशा न भानी तनहा-तनहा।।
सुरा-सुन्दरी का याचक जग
भांग-भवानी तनहा-तनहा।।
'सलिल' संजोये प्यास-आस पर
श्वास भुलानी तनहा-तनहा।।
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7 टिप्पणियां:
Shriprakash Shukla@yahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
बहुत सुन्दर अश’आर । निम्न अति उत्तम । बधाई हो ।
सुरा-सुन्दरी का याचक जग
भांग-भवानी तनहा-तनहा
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
Ashok Kumar Raktale
परम आदरणीय सलिल जी
सादर प्रणाम, सुन्दर मुक्तिका के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.
Laxman Prasad Ladiwala
ईमां पर बेईमानी की-
नव निगरानी तनहा-तनहा।
सादर प्रणाम, सुन्दर मुक्तिका के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय सलिल जी
वीनस केसरी
वाह आदरणीय रचना में भाषा का ऐसा सुन्दर प्रयोग देखने को मिला कि पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया
विशेष रचना के लिए विशेष बधाई स्वीकारें
Saurabh Pandey
हिन्दी की मात्राओं का बखूबी इस्तमाल!वाह! अंतर्निहित भावों और कहन के लिये विशेष बधाई, आदरणीय.
पियुष द्विवेदी 'भारत'
बहुत सुन्दर आदरणीय.......बधाई स्वीकारें !
श्री प्रकाश जी,अशोक जी, लक्ष्मण प्रसाद जी, वीनस जी, सौरभ जी, पीयूष जी
आपकी गुणग्राहकता को नमन.
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