गजल:
- कुँअर बेचैन
चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
- कुँअर बेचैन
बहर:
बह्रे
मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ
मफ्ऊलु
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फायलातु
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मफाईलु
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फायलुन्
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221
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2121
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1221
|
212
|
चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया
जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया
सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया
आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया
आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया
गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी
यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया
अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर
यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया
*******
______________________________________जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया
सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया
आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया
आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया
गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी
यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया
अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर
यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया
*******
इस बहर में ये अश’आर निम्नवत रूप से फिट होंगे। इसमें बहुत सी जगहों पर मात्राएँ गिराकर पढ़ना पड़ेगा।
चोटों पे \ चोट देते \ ही जाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
पत्थर को \ बुत की शक्ल \ में लाने का \ शुक्रिया
आँसू-सा \ माँ की गोद में \ आकर सि \ मट गया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
नजरों से \ अपनी मुझको \ गिराने का \ शुक्रिया२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
चोटों पे \ चोट देते \ ही जाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
पत्थर को \ बुत की शक्ल \ में लाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
जागा र \ हा तो मैंने \ नए काम \ कर लिए
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
जागा र \ हा तो मैंने \ नए काम \ कर लिए
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
ऐ नींद \ आज तेरे \ न आने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
सूखा पु \ राना जख्म \ नए को ज \ गह मिली
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
स्वागत \ नए का और \ पुराने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
आती न \ तुम तो क्यों मैं \ बनाता ये
\ सीढ़ियाँ
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
दीवारों, \ मेरी राह \ में आने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
दीवारों, \ मेरी राह \ में आने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
आँसू-सा \ माँ की गोद में \ आकर सि \ मट गया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
नजरों से \ अपनी मुझको \ गिराने का \ शुक्रिया२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
अब यह हु \ आ कि दुनिया \ ही लगती है
\ मुझको घर
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
यूँ मेरे \ घर में आग \ लगाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
गम मिलते \ हैं तो और \ निखरती है \ शायरी
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
यह बात \ है तो सारे \ जमाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
यूँ मेरे \ घर में आग \ लगाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
गम मिलते \ हैं तो और \ निखरती है \ शायरी
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
यह बात \ है तो सारे \ जमाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
अब मुझको \ आ गए हैं \ मनाने के \ सब हुनर
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
यूँ मुझसे \ `कुँअर' रूठ \ के जाने का \ शुक्रिया
अब मुझको \ आ गए हैं \ मनाने के \ सब हुनर
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
यूँ मुझसे \ `कुँअर' रूठ \ के जाने का \ शुक्रिया
२२१ \ २१२१ \ १२२१ \ २१२
एक जगह बहर गड़बड़ हो रही है। ‘कुँअर’ पर, इसको २१ बाँधा गया है जबकि १२ बाँधना चाहिए था।
मात्रा गिराने के नियम देखने हेतु निम्नवत लिंक देख सकते हैं-
http://openbooksonline.com/ group/gazal_ki_bateyn/forum/ topics/5170231:Topic:288813
अश’आर लिखने के पहले बहर निश्चित की जा सकती है जैसा कि तरही मुशायरों में होता है और लिखने के बाद शब्दों का हेर फेर करके उसको बहर में लाया भी जा सकता है। इन दोनों ही तरीकों का मिलाजुला प्रयोग किया जाता है।
एक जगह बहर गड़बड़ हो रही है। ‘कुँअर’ पर, इसको २१ बाँधा गया है जबकि १२ बाँधना चाहिए था।
मात्रा गिराने के नियम देखने हेतु निम्नवत लिंक देख सकते हैं-
http://openbooksonline.com/
अश’आर लिखने के पहले बहर निश्चित की जा सकती है जैसा कि तरही मुशायरों में होता है और लिखने के बाद शब्दों का हेर फेर करके उसको बहर में लाया भी जा सकता है। इन दोनों ही तरीकों का मिलाजुला प्रयोग किया जाता है।
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