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शनिवार, 17 नवंबर 2012

पैरोडी: 'गा बैजू गा ...' ~ 'आतिश'

पैरोडी:
'गा बैजू गा ...'

 (रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ .. 'मेहदी हसन')
~ 'आतिश'
 

आतिश
*
बे-सुर ही सही, सर ही दुखाने के लिए गा...
आ छत पे मेरी, कऊए उड़ाने के लिए गा ...
बे-सुर ही सही ... |


तू लय से जो लुढके, तो फटे-ढोल सा गा ले ... (२)
कानों पे मेरे बिजली गिराने के लिए गा...
बे-सुर ही सही ... |


है ताल से नाराज़, तो हकला के चला ले... (२)
तबले के मुक़द्दर को मिटाने के लिए गा ...
बे-सुर ही सही ... | 


गर बीन ना बज पाए तेरी भैंसों के आगे ... (२)
सोते हुए गधों को जगाने के लिए गा ...
बे-सुर ही सही, सर ही दुखाने के लिए गा ...

 
बे-सुर ही सही ... |
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