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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

षडयंत्र के साये में भारतीय सेना.... प्रधानमंत्री खामोश क्यों है?


षडयंत्र के साये में भारतीय सेना.... प्रधानमंत्री खामोश क्यों है?

सांसद का एक वरिष्ठ सांसद यदि प्रधानमंत्री को खत लिखे और पूछे कि क्या
सरकार द्वारा भारत के थल सेनाध्यक्ष पद के भावी उम्मीदवार लेफ्टिनेंट
जनरल की बहू यानी उनके दुबई में काम करने वाले ल़डके की पत्नी पाकिस्तान
की नागरिक है? तो यह गंभीर मामला बन जाता है. प्रधानमंत्री कार्यालय इसका
उत्तर देने की जगह उन सांसद पर उनकी पार्टी द्वारा दबाव डलवाता है कि वह
इस खत को वापस ले लें. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री के साथ जु़डे एक
मंत्री नारायण सामी संसद में ही इस सांसद को पक़ड लेते हैं और कहते हैं
कि आप खत वापस ले लीजिए, क्योंकि प्रधानमंत्री का़फी अपसेट हैं.


सांसद कहते हैं कि अच्छा हो प्रधानमंत्री चार लाइन का उत्तर भेज दें कि
उनके द्वारा खत में उठाए गए सवाल ग़लत हैं, पर प्रधानमंत्री अब तक खामोश
हैं, कम से कम इस रिपोर्ट के लिखे जाने के समय तक. दरअसल सेना का यह सख्त
नियम है कि अगर कोई भी व्यक्ति जो भारतीय सेना में है, वह या उसका परिवार
किसी विदेशी नागरिक से शादी करता है तो उसे सूचना भी देनी होगी. यहां तो
किसी भी विदेशी नागरिक से नहीं, पाकिस्तानी नागरिक से शादी का मामला है.
अगर यह खबर सही है तो भारत के थल सेनाध्यक्ष के घर में पाकिस्तानी नागरिक
होगा, जिसके पास सेना के सारे राज़ होंगे.

   आ़खिर क्या वजह है कि ले. जनरल बिक्रम सिंह के गंभीर आरोपों में घिरे
होने के बाद भी प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री उन्हें भावी सेनाध्यक्ष
बनाना चाहते हैं. अपने बेटे की शादी पाकिस्तानी लड़की से करने के बाद भी
वह सेनाध्यक्ष जैसे अति संवेदनशील पद पर बैठाए जा रहे हैं. क्या इसके
पीछे स़िर्फ उनका प्रधानमंत्री के समाज का होना कारण है या किसी बड़ी
विदेशी ताक़त का भारत सरकार पर दबाव है? प्रधानमंत्री कार्यालय यूपीए के
ही एक सांसद द्वारा उठाए सवाल पर खामोश क्यों है?

हमेशा खतरा बना रहेगा कि ये राज़ या खु़फिया सूचनाएं पाकिस्तान न पहुंच
जाएं. प्रधानमंत्री द्वारा अब तक खत का जवाब न देना बताता है कि आरोप सही
हैं.

भारत के भावी थल सेनाध्यक्ष अक्सर अपने बेटे और पाकिस्तानी बहू से मिलने
दुबई जाते रहते हैं. इसके बारे में अंग्रेजी के एक मशहूर साप्ताहिक ने
रिपोर्ट छापी है कि जब यह कांगो में भारतीय शांति सेना के चीफ थे तो वहां
रहे कुछ सिपाहियों और अ़फसरों पर यौन शोषण का आरोप लगा था. इसकी जांच
भारतीय सेना कर रही है. जब बिल क्लिंटन राष्ट्रपति के रूप में भारत आए तो
कश्मीर के छत्तीसिंह पुरा में सिखों की हत्या हुई थी. जांच में पता चला
कि इसमें का़फी संदेह है कि ये हत्याएं आतंकवादियों ने की हैं. इसमें
अनदेखी का आरोप इन्हीं ले. जनरल साहब पर लगा. जब यह कश्मीर के कोर कमांडर
थे तो एक पैंसठ साल के व्यक्ति का एनकाउंटर हुआ.पुलिस ने जांच की तो पता
चला कि यह फर्ज़ी एनकाउंटर था. अनंतनाग के डीआईजी ने जांच रिपोर्ट आने के
बाद बाक़ायदा प्रेस कांफ्रेंस की. भारत के भावी थल सेनाध्यक्ष ने कोर
कमांडर रहते हुए सेना से प्रशस्ति पत्र भी ले लिया. कश्मीर में ही रहते
हुए कैसे दुकानों के आवंटन में धांधली हुई, इस पर भी सांसद ने
प्रधानमंत्री को खत लिखा, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस खत का जवाब नहीं
दिया.

 
आ़खिर क्या वजह है कि ले. जनरल बिक्रम सिंह के गंभीर आरोपों में घिरे
होने के बाद भी प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री उन्हें भावी सेनाध्यक्ष
बनाना चाहते हैं. उनके द्वारा अपने बेटे की शादी पाकिस्तानी ल़डकी से
करने के बाद भी वह सेनाध्यक्ष जैसे अति संवेदनशील पद पर बैठाए जा रहे
हैं. क्या इसके पीछे स़िर्फ उनका प्रधानमंत्री के समाज का होना कारण है
या इसके पीछे किसी ब़डी विदेशी ताक़त का भारत सरकार पर दबाव है?
प्रधानमंत्री कार्यालय यूपीए के ही एक सांसद द्वारा उठाए सवाल पर खामोश
क्यों है?
पीएम के नाम यूपीए के एक सांसद का पत्र
चौथी दुनिया के पास उपलब्ध एक पत्र, जो तृणमूल सांसद अंबिका बनर्जी
द्वारा 7 जुलाई, 2011 को प्रधानमंत्री को लिखा गया, लेफ्टिनेंट जनरल
बिक्रम सिंह पर एक और संगीन आरोप का खुलासा करता है. हावड़ा से तृणमूल
कांग्रेस के सांसद अंबिका बनर्जी अपने इस पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह को लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह के एक कारनामे के बारे में
सूचित करते हैं और कार्रवाई की मांग करते हैं. बनर्जी अपने पत्र में
लिखते हैं कि कोर कमांडर पद पर रहते हुए बिक्रम सिंह ने एच क्यू 15 कोर
(श्रीनगर) में 10 दुकानें आवंटित की थीं. वह आगे लिखते हैं कि मुझे बताया
गया है कि बिक्रम सिंह ने इस आवंटन के बदले हर एक दुकान के लिए 3 से 5
लाख रुपये लिए. बनर्जी इसे शर्मनाक बताते हुए प्रधानमंत्री से इस मामले
को देखने के लिए कहते हैं और यह भी अनुरोध करते हैं कि जब तक जांच पूरी न
हो जाए, तब तक के लिए बिक्रम सिंह को उनकी संवेदनशील पद पर तैनाती से हटा
दिया जाए. बहरहाल, प्रधानमंत्री की ओर से इस मसले पर अब तक क्या कार्रवाई
की गई है, किसी को नहीं पता. क्या इस मामले पर अब भी कोई कार्रवाई होगी,
कहा नहीं जा सकता.
आभार : चौथी दुनिया 

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