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शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

ॐ गणेश भजन : --संजीव 'सलिल'


          


















विनय करूँ प्रभु श्री गणेश जी!
विघ्न करो सब दूर हमारे...
*
सत-शिव-सुन्दर हम रच पायें,
निज वाणी से नित सच गायें.
अशुभ-असत से लड़ें निरंतर-
सत-चित आनंद-मंगल गायें.
भारत माता ग्रामवासिनी-
हम वसुधा पर स्वर्ग बसायें.
राँगोली-अल्पना सुसज्जित-
हों घर-घर के अँगना-द्वारे.
मतभेदों को सुलझा लें,
मनभेद न कोई बचे जरा रे.
विनय करूँ प्रभु श्री गणेश जी!
विघ्न करो सब दूर हमारे...
*
आस-श्वास हो सदा सुहागिन,
पनघट-पनघट पर राधा हो.
अमराई में कान्हा खेलें,
कहीं न कोई भव-बाधा हो.
ढाई आखर नित पढ़ पाना-
लक्ष्य सभी ने मिल साधा हो.
हर अँगना में दही बिलोती
जसुदा, नन्द खड़े हों द्वारे.
कंस कुशासन को जनमत का
हलधर-कान्हा पटक सुधारे.
विनय करूँ प्रभु श्री गणेश जी!
विघ्न करो सब दूर हमारे...
*
तुलसी चौरा, राँगोली-अल्पना
भोर में उषा सजाये.
श्रम-सीकर में नहा दुपहरी,
शीश उठाकर हाथ मिलाये.
भजन-कीर्तन गाती संध्या,
इस धरती पर स्वर्ग बसाये
निशा नशीली रंग-बिरंगे
स्वप्न दिखा, शत दीपक बारे.
ज्यों की त्यों चादर धरकर
यह 'सलिल' तुम्हारे भजन उचारे.
विनय करूँ प्रभु श्री गणेश जी!
विघ्न करो सब दूर हमारे...
*

4 टिप्‍पणियां:

sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita ने कहा…

आ० आचार्य जी,
अति सुन्दर और अवसर के अनुरूप गणेश वंदना |
इसे भजन व प्रार्थना के रूप में गया जा सकता है |
प्रस्तुति के लिये आपको साधुवाद !
सादर,
कमल

- ksantosh_45@yahoo.co.in ने कहा…

आ० सलिल जी
बहुत ही सुन्दर गणेश वन्दना है।बधाई।
सन्तोष कुमार सिंह

Mukesh Srivastava ✆ mukku41@yahoo.com ekavita ने कहा…

सलिल जी,
इस सुंदर गणपति वंदन पर करें बधाई स्वीकार
आप और आपके परिवार पर गणपति करे कृपा बारम्बार
शुभकामनाओं सहित
मुकेश इलाहाबादी

Mukesh Srivastava ✆ mukku41@yahoo.com ekavita ने कहा…

सलिल जी,
इस सुंदर गणपति वंदन पर करें बधाई स्वीकार
आप और आपके परिवार पर गणपति करे कृपा बारम्बार
शुभकामनाओं सहित
मुकेश इलाहाबादी