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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के निधन से हिंदी जगत की अपूरणीय क्षति

शुक्रवार, ८ अप्रैल २०११

महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के निधन से हिंदी जगत की अपूरणीय क्षति 

मुजफ्फरपुर सुनसान लागि रहल ये जिम्हर देखियो उम्हरे शोक आ शंताप के माहौल ये। अनाथ भए गेल सोंसे देश कियाकि महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शाश्त्री जी के निधन भए गेल। शुक्रवार के हुनकर सम्मान में शोकसभाएं आयोजित कए के श्रदांजलि दए वाला के ताँता लागल रहय।साथ ही साथ सरकार से ओ महाकवि के देशरत्ना से विभूषित करय के मांग जोर पकड़य लागल ये।'ऊपर-ऊपर पी जाते हैं, जो पीने वाले होतें हैं जेइसन अमर पंक्ति से समाज के वंचित लोगेन के प्रति अपन वेदना के उड़ेलइ वाला महाकवि के निधन से भारतीय साहित्य के बहुत पैघ क्षति पहुंचल ये।
[055[4].jpg]हुनकर दिवंगत आत्मा के चिरशांति आ दुःख के ई घडी में हुनकर परिजन के धैर्य धारण करय के क्षमता प्रदान करय के लेल इश्वर से प्रार्थना करल गेल।महाकवि के आत्मा के शांति के लेल कैकटा विद्वान् आ नेता हुनकर घोर पहुंचल। महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शाश्त्री जी जन्म 5 जनवरी सन 1916 के औरंगाबाद के मैगरा गाम मे भेल छलन्हि. करीब सत्तर साल पहिने मुजफ्फरपुर अएला के बाद एहिठाम बसि गेलखिन्ह. एहिठाम रामदयालु सिंह कॉलेज,आरडीएस कॉलेज हिन्दी के विभागाध्यक्ष सेहो रहलखिन्ह। हुनकर निधन से सोंसे साहित्य जगत अनाथ भए गेल ये,मुदा उम्र के तकाजा कहियो आ होनी जिनकर बुलावा आबय छैक हुनका जाय से कियो नै रोकि सकय अछि।
हिनकर रचना हिनकर प्रसिद्ध रचना मे मेघगीत,अवन्तिका,राधा,श्यामासंगीत,एक किरण: सौ झाइयां,दो तिनकों का घोंसला,इरावती,कालीदास,अशोक वन, सत्यकाम..आदि प्रसिद्ध अछि।
साहित्य जगत हुनकर निधन से अनाथ ते भए ही गेल ये साथ ही साथ हुनकर कमी के साहित्य जगत कहियो पूरा कए सकत की नै ई एकता सोचनिये विषय अछि।

1 टिप्पणी:

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

आदरणीय जानकी वल्लभ शास्त्री जी को भाव भीनी श्रद्धांजली